फर्रुखाबाद:शुक्रवार सुबह परम पूज्य शांतिदूत देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने डॉ अनुपम दुबे एडवोकेट के साथ गंगा स्नान भोले बाबा का पूजन एबं आरती की और पण्डाबाग में दर्शन किये शांतिदूत देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के परम सानिध्य में सहसपुर फर्रुखाबाद में आयोजित विशाल श्रीमद भागवत कथा के अंतर्गत पिछले पांच दिनों से सभी भक्तों को पूज्य ठाकुर जी के श्रीमुख से कथा अमृतपान करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। आज सभी भक्तों को छठवें दिन की कथा श्रवण कराई गई जिसमे कृष्ण.रुक्मणी विवाह मुख्य रहा। सर्वप्रथम कथा के मुख्य यजमान डॉ अनुपम दुबे एडवोकेट ने पत्नी सहित भागवत व व्यास पूजन कर महाराज श्री आशीर्वाद प्राप्त किया।
कथा प्रसंग को प्रारंभ करते हुए ठाकुर जी ने कहा कि अगर भागवत पुराण का एक भी श्लोक हमारी समझ में आ जाए तो वही एक श्लोक हमारे जीवन का कल्याण कर सकता है इसलिए कथा को हमें पुरे मनएक्रमएवचन से श्रवण करना चाहिए तथा आत्मचिंतन करना चाहिए। भागवत पुराण एक ऐसा कल्पवृक्ष है इससे हम जो भी मागेंगे वो हमें अवश्य मिलेगा और जिसे कुछ भी नहीं चाहिए उसे ये भागवत मोक्ष प्रदान करती है लेकिन इस के लिए हमारे मन में भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा चाहिए।
जिंदगी जब तक रहेगी फुरसत न होगी काम सेए कुछ वक्त ऐसा निकालो प्रेम कर लो भगवान सेष् ये जिंदगी जब तक रहेगी तब तक हमें सांसारिक मोहमाया में लिप्त रहेंगे लेकिन जो व्यक्ति इस सांसारिक मोहमाया से मुक्त होकर कुछ समय भगवान की भक्ति के लिए निकालते हैं वही भगवान के सच्चे भक्त हैं और ऐसे ही भक्त प्रभु को प्यारे होते हैं|अपनी किसी भी वस्तु पर अभिमान करने से पहले हमें यह सोच लेना चाहिए कि भगवान अभिमान वाली वस्तु को हम से दूर कर देते हैं। जैसे कि उद्धव जी को अपनी विद्धवता पर बड़ा ही अभिमान था तब भगवान ने उन को ब्रज में भेजा और जब उद्धव जी मथुरा से चले तो वृन्दावन निकट आया वहीँ से प्रेम ने अपना अनोखा रंग दिखलाया। लिपट कर वस्त्र में कांटे लगे उद्धव को समझाने तुम्हारा ज्ञान पर्दा फाड़ दें हम प्रेम दीवाने। उद्धव जी जब ब्रज पहुँचे तो ब्रज गोपीयों ने प्रेम परिभाषा देते हुए उनकी विद्धवता के अभिमान को प्रेम रूपी चादर से ढक दिया तब उद्धव जी ने ब्रज गोपीयों से कहा कि मेरा ज्ञान आपके कृष्ण प्रेम के आगे शून्य है।इस प्रकार भगवान ने उनके ज्ञान रूपी अभिमान को चूर.चूर किया।
देवकी नंदन ने प्रभु के महारास प्रसंग को प्रारंभ करते हुए कहा की आज की युवा पीढ़ी कहती है कि हमारे प्रभु भी रास करते थे तो हमारे रास रचाने में क्या बुराई है। अरे कलयुग के नौजवानों क्या तुम यह नहीं जानते की प्रभु ने रास में कामदेव को हराया था लेकिन तुम्हारे रास में कामदेव की जीत होती है| वासना हावी होती है लेकिन भगवान का रास वासना मुक्त होता है। प्रभु के रास पर संदेह करने से पहले हमें रास को समझना होगा। रास का अभिप्राय है आत्मा और परमात्मा का मिलन न की शारीरिक मिलन। भगवान की लीलाओं को समझने के लिए पहले हमें भगवान को समझना होगा। प्रभु ने कामदेव के अभिमान को तोड़ने के लिए रास रचाया था। कृष्ण.रुक्मणि विवाहोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कथा के मुख्य यजमान ने सह.पत्नी कन्यादान की रश्म पूरी की और महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। कल कथा का विराम दिवस है।