गैरटीईटी पास शिक्षकों को तुरंत हटाए यूपी सरकार

Uncategorized

adaltनई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि गैर टीईटी पास लोगों को तुरंत प्रभाव से शिक्षक पद से हटाया जाए। ये लोग गैर कानूनी तरीके से भर्ती हो गए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि वह सभी उम्मीदवारों के नाम इंटरनेट पर डाले, जिन्हें नियुक्त किया गया है। सरकार को इसके लिए तीन हफ्ते का समय दिया गया है।

जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने मंगलवार को आदेश देते हुए इस मामले की अंतिम सुनवाई के लिए जुलाई की 6 और 13 तारीख तय की हैं। कोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि कोर्ट के आदेश पर भर्ती किए जा रहे शिक्षकों को नौकरी में कोई अधिकार नहीं मिलेगा। उनकी नियुक्ति याचिकाओं के नतीजे पर निर्भर करेगी। कोर्ट ने यह आदेश एक याचिका पर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फर्जी तरीके से भर्तियां हो रही हैं और कई ऐसे लोग भर्ती हो गए हैं, जो टीईटी पास नहीं हैं।

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने बताया कि अब तक 54,464 शिक्षकों ने नौकरी ज्वाइन कर ली है और भर्ती प्रक्रिया जारी है। कोर्ट ने 24 फरवरी को आदेश दिया था कि यूपी सरकार सभी 72 हजार से ज्यादा भर्तियां पूरी करे। तब से सरकार भर्तियां कर रही है।
मामला भर्ती के निमयों में बदलाव का है। सरकार का कहना है कि भर्ती का आधार सिर्फ टीईटी ही नहीं होना चाहिए। उसके लिए शैक्षणिक योग्यता भी देखनी चाहिए। उम्मीदवारों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उसके बाद गत वर्ष यह मामला सुप्रीम कोर्ट आ गया।

यह है मामला
तत्कालीन मायावती सरकार ने नवंबर 2011 में प्रदेश के स्कूलों में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। ये भर्तियां शिक्षक योग्यता परीक्षा (टीईटी) के जरिए होनी थीं। परीक्षा में तमाम छात्र बैठे और पास हुए, लेकिन इस बीच मई 2102 में सरकार बदल गई। अखिलेश यादव सरकार ने भर्ती के नए मानक बनाए। इनमें टीईटी के साथ-साथ शैक्षणिक योग्यता को भी मेरिट में जोड़ने का प्रावधान कर दिया गया। छात्रों ने इस प्रावधान को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।

छात्रों की याचिका पर हाईकोर्ट ने मई 2012 में ही इस प्रावधान को रद्द कर दिया और सरकार के नवंबर 2011 के विज्ञापन को सही ठहरा कर टीईटी मेरिट की योग्यता के आधार पर ही भर्ती करने का आदेश दिया। इस आदेश को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को ध्यान में रखना आवश्यक है। टीईटी महज एक योग्यता परीक्षा है, जिसके आधार पर छात्रों की शैक्षणिक योग्यता का पता नहीं चलता।

प्रदेश में चल रही 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव एचएल गुप्त ने बीते दिनों दोबारा आदेश जारी किया है कि यदि फर्जी अंकपत्रों के सहारे कोई अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र हासिल कर लेता है तो इसे जारी करने से संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में कई बार अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
वहीं फर्जी अंकपत्रों के सहारे भर्ती होने वाले अभ्यर्थियों का ब्योरा निदेशालय जुटा रहा है ताकि पता चल सके कि ऐसे कितने मामले अब तक प्रकाश में आ चुके हैं।
अध्यापक पात्रता परीक्षा का रिजल्ट भी ऑनलाइन कर दिया गया है ताकि इसका मिलान किया जा चुके। इसके बावजूद फर्जी अंकपत्रों के सहारे नौकरी हासिल करने वाले बाज नहीं आ रहे हैं। बीते दिनों लखीमपुर से लखनऊ के कॉलेजों में सत्यापन के लिए आए 90 अंकपत्र फर्जी निकले। वहीं कई अन्य जिलों से भी सत्यापन के लिए जा रहे अंकपत्रों का फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है।