लखनऊ: बारिश और ओले की मार से अपना सर्वस्व लुट जाने के बावजूद सरकारी मुआवजे से वंचित बटाई पर खेती करने वाले सूबे के लाखों सीमांत और भूमिहीन किसानों के लिए यह उम्मीद भरी खबर है। दैवी आपदा की स्थिति में बटाई पर खेती करने वाले किसानों को मुआवजा मिल सके, सरकार इसका हल निकालने की कवायद में जुटी है। इसके लिए राजस्व संहिता में संशोधन किया जाएगा।
प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं जो किन्हीं कारणों से खुद अपनी जमीन पर खेती नहीं करते। वे अपने खेतों को बेहद छोटी जोत वाले सीमांत और भूमिहीन किसानों को बटाई पर खेती के लिए दे देते हैं जिन्हें बटाईदार कहा जाता है। सीमांत और भूमिहीन किसान आजीविका के लिए बटाई पर मिले खेतों पर पसीना बहाकर फसलें उगाते हैं। खेतों में उपज होने पर भू-स्वामी और बटाईदार उसे अमूमन आधा-आधा बांट लेते हैं। बटाई पर खेती तो आम बात है लेकिन दैवी आपदा से फसलें बर्बाद होने पर बटाईदार को सरकार से मुआवजा नहीं मिल पाता है। वजह यह है कि उप्र जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 के तहत बटाईदारी प्रतिबंधित है। सिर्फ फौजी, विधवा और शारीरिक रूप से अशक्त व्यक्ति को ही अपनी जमीन बटाई पर देने का अधिकार है। अधिनियम में भले ही इन तीन श्रेणियों को खेतों को बटाई पर देने का अधिकार दिया गया हो लेकिन व्यवहारिकता में यह सामान्य प्रचलन है। कानून की बंदिश की वजह से बटाईदार किसानों की विधिक मान्यता नहीं है। इस वजह से वे सरकारी मुआवजे से वंचित रह जाते हैं। मुआवजा मिलता है भू-स्वामी को जिसके नाम खतौनी में जमीन दर्ज होती है।
दैवी आपदा से बड़े पैमाने पर फसलों को हुए नुकसान के बाद राज्य सरकार का ध्यान इस समस्या की ओर गया है। प्रमुख सचिव राजस्व सुरेश चंद्रा के मुताबिक बटाईदारों को मुआवजा मिल सके, इसके लिए सरकार राजस्व संहिता 2006 में संशोधन करेगी, जिसमें फौजी, विधवा और अशक्त व्यक्तियों के अलावा सरकारी कर्मचारियों को भी जमीन बटाई पर देने का अधिकार दिया गया है। चूंकि अब बटाई सामान्य प्रचलन हो गया है, इसलिए समय की मांग को देखते हुए अब सभी वर्गो को जमीन बटाई पर देने का अधिकार देने पर सहमति बनी है। इसके लिए भू-स्वामी और बटाईदार के बीच लिखित समझौता होगा। उसके आधार पर दैवी आपदा की स्थिति में बटाईदार को सरकार की ओर से मुआवजा मिल सकेगा।
सरकर को भेजेंगे प्रस्ताव
मुलायम सरकार ने 2006 में राजस्व के 39 अधिनियमों को खत्म कर राजस्व संहिता बनाई थी जो तकनीकी कारणों से अब तक लागू नहीं हो पाई है। अखिलेश सरकार राजस्व संहिता 2006 को अधिसूचित करना चाहती थी कि उसमें कुछ खामियां पता चली। इनको दूर करने के लिए सरकार ने अपर महाधिवक्ता राज बहादुर सिंह यादव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। कमेटी संशोधित प्रारूप तैयार कर रही है। अपर महाधिवक्ता ने बताया कि बटाईदार किसानों को मुआवजा न मिल पाने का मुद्दा कमेटी के सामने किसानों और अधिकारियों की ओर से लाया गया है। कमेटी के अध्यक्ष के रूप में वह इससे सहमत हैं कि बटाईदारी को विधिक मान्यता मिलनी चाहिए और बटाईदार की भूमिका निभाने वाले सीमांत, भूमिहीन किसानों को मुआवजा। कमेटी के माध्यम से वह राजस्व संहिता 2006 में इस आशय के संशोधन का प्रस्ताव शासन को भेजेंगे।
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