पंचायताें को मिलेगी आर्थिक आजादी, प्रतिवर्ष मिलेंगे 85 लाख

Uncategorized

Prime Minister Narendra Modi with Russian President Vladimir Putin Attend World Diamond Conference In Delhiनई दिल्ली: केंद्र सरकार गांवों को वास्तविक ताकत प्रदान करने के लिए उन्हें आर्थिक व प्रशासनिक अधिकार भी देगी। 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर पंचायतों को अगले पांच सालों के लिए दो लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की धनराशि प्राप्त हुई है। इससे पंचायतें मालामाल हो जाएंगी। पंचायती राज के कानून के तहत उनके प्रशासनिक अधिकार भी बढ़ जाएंगे।

पंचायती राज दिवस पर शुक्रवार को आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद शिरकत करेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान कुछ और बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं। 13वें वित्त आयोग ने जहां पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था के लिए धन का आवंटन किया था, उसके मुकाबले 14वें आयोग ने अपनी सिफारिश सीधे ग्राम पंचायतों के लिए आवंटन किया है।

ग्राम पंचायत स्तर पर प्रति व्यक्ति 2404 रुपये का आवंटन किया गया है। जबकि पंचायत स्तर पर यह आवंटन 17 लाख प्रति वर्ष होगा। यह आवंटन औसत स्तर की पंचायत का होगा। इस धनराशि का उपयोग मूलभूत सेवाओं स्वच्छता, पेयजल, सामुदायिक ढांचों की मरम्मत आदि के लिए किया जाएगा।

प्रशासनिक अधिकार के तौर पर पंचायतों को यह अधिकार होगा कि वे स्थानीय स्तर पर योजनाएं बना सकती है, जिससे वहां के लोगों को मूलभूत सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगे। गांव के सबसे निचले तबके के व्यक्ति के हितों का ध्यान रखा जा सकेगा। पंचायतों की स्वच्छता व शौचालय के निर्माण पर खास ध्यान दिया जा सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी इस मौके पर एक ऐसी रिपोर्ट भी जारी करेंगे, जिसमें लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई को वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार सौंपने की पहल के बारे में होगी। पंचायत दिवस पर आयोजित समारोह में देशभर से लगभग एक हजार प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की संभावना है। इस दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाली पंचायतें सम्मानित की जाएंगी।

खर्च नहीं हुए पंचायती राज के पांच हजार करोड़

एक संसदीय समिति ने कहा कि पंचायती राज योजनाओं के लिए आवंटित 5000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अभी तक खर्च नहीं हो पाई है। पंचायती राज मंत्रालय के तहत योजनाओं में खास तौर से पिछड़ा क्षेत्र ग्रांट कोष (बीआरजीएफ) शामिल है।

ग्रामीण विकास पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट सदन में गुरुवार को पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि ध्यान देने की बात यह है कि खास तौर से बीआरजीएफ के तहत पंचायती राज मंत्रालय की 2014-15 के दौरान की योजनाओं के कोष की भारी राशि का इस्तेमाल अभी तक नहीं किया गया है।

इस संबंध में समिति ने उल्लेख किा है कि 31 दिसंबर 2014 तक 5129.48 करोड़ रुपये पड़े हुए थे। यह राशि बीआरजीएफ की 4524.94 करोड़ की राशि में शामिल थी।

बदले में मंत्रालय ने समिति को अवगत कराया है कि वह राज्यों को मंजूर की गई योजनाओं की प्रयोग में नहीं लाई गई राशि के बारे में पत्र लिखेगा। मंत्रालय ने कहा है कि राज्यों को यह सुनिश्चित करने का परामर्श जारी किया गया था कि स्वीकृत योजनाएं पूरी की जाएं ताकि खर्च व्यर्थ नहीं हो।