नई दिल्ली: इस्लामिक स्टेट के दरिंदे किसी पर रहम नहीं करते। वो अपने हर काम की पूरी कीमत वसूलते हैं। आईएस के आतंकियों ने 10 महीने से बंधक बनाए गए 216 लोगों को रिहा कर दिया लेकिन रिहाई की हकीकत अब सामने आई है। रिहाई के बाद उनके साथ वो सलूक हुआ जो शायद नर्क में भी नहीं होता होगा। बंधकों में जितनी खूबसूरत लड़कियां थीं, उन्हें जिंदा लाश बनाकर वापस भेजा गया है।
इराक के अल्पसंख्यक यजीदी समुदाय के लोग पिछले साल जुलाई से इस्लामिक स्टेट के बंधक थे। तमाम कोशिशों के बावजूद आईएस आतंकियों ने यजीदी समुदाय के 216 लोगों को रिहा कर दिया। लेकिन रिहाई के बाद इन लोगों ने अपनी जो आपबीती सुनाई, उसे सुनकर सबकी रूह कांप सकती है। आईएस आतंकियों के 216 बंधकों में से यजीदी समुदाय की 55 लड़कियों ने पिछले 10 महीने में जो देखा है, उसे सिर्फ और सिर्फ नर्क ही कहा जा सकता है। आईएस के कब्जे से आजाद हुई लड़कियों के मुताबिक, उन्हें बार-बार गैंगरेप का शिकार बनाया गया। किसी कमरे में नहीं, बंद दरवाजे के भीतर नहीं, बल्कि सरेआम लड़कियों के साथ गैंगरेप किया गया। कभी दो तो कभी तीन-तीन दरिंदों ने उनके साथ बलात्कार किया। उनके अपनों के सामने, बंधकों के शिविरों में उन्हें वहशीपन का शिकार बनाया गया। आईएस के दरिंदों ने 10 महीने तक यजीदी लड़कियों को सेक्स गुलाम बनाकर रखा।
जुलाई 2014 में इन बंधकों को सिंजर इलाके से बंधक बनाया गया, इसके बाद इन बंधकों को आईएस के दरिंदे अपने इलाकों में ले गए। इनमें ज्यादातर बुजुर्ग और बच्चे थे। उनके साथ तो सिर्फ मारपीट की गई, उन्हें प्रताड़ित किया गया। लेकिन 55 महिलाएं और लड़कियों के साथ इस्लामिक स्टेट ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी। उनके साथ दस महीनों तक गैंगरेप किया गया। इन बंधकों को छुड़ाने में राइज फाउंडेशन नाम की संस्था ने अहम भूमिका निभाई है। इस संस्था के एक अधिकारी टॉम रॉबिंसन के मुताबिक, बंधकों को छुड़ाने के लिए एक बड़ा सौदा किया गया है, इसके लिए आईएस को भारी रकम चुकाई गई है।
जिन बंधकों के बदले आतंकी दरिंदों ने भारी रकम उगाही है, उसके साथ सेक्स गुलाम जैसा व्यवहार किया गया। यजीदियों को इस्लामिक स्टेट शैतान का पुजारी मानता है। इराक, यजीदियों को इस्लामिक स्टेट शैतान का पुजारी मानता है। इराक, सीरिया और तुर्की की सीमा पर बसने वाले यजीदी समुदाय के साथ पहले भी कई बार दरिंदगी की गई है। लेकिन इस बार तो इन जीते जागते शैतानों ने सारी हदें पार कर दीं।
एनजीओ के मुताबिक बंधकों को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया गया, ऐसा न करने पर उन पर अत्याचार किया गया। एक अधिकारी के मुताबिक, लड़कियों को उनकी मां से अलग कर दिया गया, जिस मां ने अपनी बेटी को बचाने की, उसे रोकने की कोशिश की उन्हें बुरी तरह पीटा गया।
बंधक बनाई गई यजीदी लड़कियों में से कुछ को इनाम के तौर पर भी बांटा गया। आईएस के जिस लड़ाके ने ज्यादा दरिंदगी दिखाई, उसे इनाम के तौर पर यजीदी लड़कियों को गिफ्ट किया जाता था। यहां तक कि आईएस की मदद करने वाले अरब कबीलों को भी लड़कियां भेंट की गईं। एनजीओ के एक अधिकारी के मुताबिक बार-बार हुए बलात्कार और टॉर्चर की वजह से कुछ लड़कियां मानसिक संतुलन खो चुकी हैं। यानी रिहा होकर भी यजीदी समुदाय की लड़कियां शर्म और बेबसी में जीने को मजबूर हैं। वो आजादी की सांस तो ले रही हैं, लेकिन पिछले 10 महीने के टॉर्चर से उबरना आसान नहीं है।