नई दिल्ली:अपनी स्थापना के 34 साल बाद भारतीय जनता पार्टी अपने इतिहास की सबसे बड़ी सफलता के शिखर पर है। हाल ही में आई खबरों के मुताबिक बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी सियासी पार्टी बन गई है। अब, पार्टी के सामने बड़े-बड़े लक्ष्य हैं, लेकिन चुनौतियों भी कम नहीं है। इस नजरिए से भविष्य का रोडमैप तय करने के लिए शुक्रवार, 3 अप्रैल से बेंगलुरु में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक शुरू हो रही है। शुरुआत बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के भाषण से होगी जिसमें बैठक का एजेंडा सामने रखा जाएगा।
पार्टी नेता शहनवाज हुसैन के मुताबिक 6 अप्रैल बीजेपी का स्थापना दिवस है। 26 मई को उपलब्द्धि का एक वर्ष पूरा हो रहा है। पार्टी ने हर मोर्चे पर सफलता प्राप्त की है। कल की बैठक में पार्टी के सभी वरिष्ट नेता हिस्सा लेंगे।
बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी 111 सदस्य बैठक में हिस्सा लेंगे, इसके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्य, बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, बीजेपी के सभी पूर्व मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष समेत तमाम दिग्गज नेता बैठक में शामिल होंगे।
बैठक की शुरुआत अध्यक्ष के भाषण के बाद होगी और मोदी सरकार की विदेश नीति पर प्रस्ताव आएगा। देश का मान बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की जाएगी। बीजेपी के महामंथन में विदेश नति पर प्रस्ताव पास होने बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी के एजेंडे पर विचार शुरू होगा। पार्टी की कोशिश होगी कि 10 महीने के दौरान मोदी सरकार की उपलब्धियों को जोर-शोर से जनता के बीच पहुंचाया जाए।
उपलब्धियों के बखान के साथ ही कार्यकारिणी का जोर पार्टी और सरकार के लिए साफ और दूरंदेशी वाले लक्ष्य पेश करने पर भी होगा। इसी नजरिए से सरकार और पार्टी दोनों के सामने आ रही चुनौतियों पर बहस और नीति तय होगी। फिलहाल बीजेपी और सरकार दोनों के ही सामने सबसे बड़ी चुनौती भूमि अधिग्रहण बिल पर बना माहौल है, पार्टी को लगता है कि इस मोर्चे पर कांग्रेस बढ़त बना रही है, जिसे रोकने के लिए 3 अप्रैल को ही भूमि अधिग्रहण बिल पर पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन होगा।
बीजेपी सदस्यों को भूमि अधिग्रहण बिल के फायदे बताए जाएंगे। पार्टी से सरकार का पक्ष जनता तक पहुंचाने को कहा जाएगा। शाम को पीएम मोदी एक आम सभा को भी संबोधित करेंगे। 4 अप्रैल को राजनीतिक प्रस्ताव पास होगा। राजनीतिक प्रस्ताव में आर्थिक पहलू भी शामिल होगा।
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 50 दिन पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव नें मिली शर्मनाक हार पर भी चर्चा हो सकती है। चर्चा का जोर इस पर होगा कि पार्टी की रणनीति पर चूक कहां हो गई। सूत्रों के मुताबिक बैठक में इसी साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव की रणनीति पर भी विचार होगा।
जब तक अटल बिहारी वाजपेयी सक्रिय थे, तब तक राष्ट्रीय कार्यकारिणी का समापन उनके मार्गदर्शन भाषण से होता था। इसके बाद आडवाणी का मार्गदर्शन भाषण होता आया है, लेकिन इस बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी का समापन पीएम मोदी के भाषण से होगा। सवाल उठे तो पार्टी को इस पर सफाई भी देनी पड़ी है।