भंडारे में देश-विदेश से साध संगत होगे शामिल

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saadhफर्रुखाबाद:शहर के सधवाड़े में स्थित साध चौकी में होने वाले वार्षिक धार्मिक अनुष्ठान भंडारे में देश विदेश के लोग शामिल होंगे जिसको लेकर सभी तैयारिया पूर्ण कर ली गयी है|

भंडारे में तकरीबन 10 से 15 हजार लोगो के पंहुचने का अनुमान लगाया जा रहा है| भंडारे के लिए समाज के लोगो ने खुद जुटकर सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया है| भंडारे की तैयरियो में कपिल साध, केसव भान साद, नितिन साद, विपिन साद, अजय कुमार, अजय कुमार साध आदि लग व्यवस्था देखने में तेजी के साथ लगे है|

क्या है साध समाज के भंडारे का इतिहास

saadh q1344 वर्ष पुरानी है साध समाज के भंडारे की परंपरा तीन सौ चौवालीस वर्ष से चली आ रही साध सतनामी समाज की परंपरा के अंतर्गत फागुन सुदी तेरस से साध समाज का वार्षिक धार्मिक अनुष्ठान भंडारा होता है। विक्रमी संवत 1726 फागुनी सुदी तेरस के दिन मालिक ने भंडारा फुरमाया तब से हर वर्ष भंडारा आयोजित किया जाता है। विक्रमी संवत 1729 में सतनामी साधों ने नारनौल में औरंगजेब की फौज से बहादुरी से मुकाबला करते हुए मालिक के हुकुम से करीब पांच हजार सतनामी साधों ने बलिदान दिया।

सतनामी साधों को तन का लालच नहीं है, उन्होंने मालिक के हुकुम पर सब कुछ न्योछावर कर दिया। साध समाज के इस भंडारे में देश-विदेश से साध संगत शामिल होती है। इस वर्ष यह भंडारा फर्रुखाबाद और दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। सात दिन तक चलने वाले भंडारे में धर्मग्रंथ के आधार पर ज्ञान वार्ता होती है तथा शाम को भोजन सामग्री तैयार कर भंडार मकान में रखकर मंत्रों से मालिक का आह्वान किया जाता है।

मंत्रों से भोजन सामग्री चुगा परसाद में परिवर्तित हो जाती है। यह परसाद समस्त साध संगत सामूहिक रूप से प्राप्त करती है।