नई दिल्ली|| उच्च न्यायालय का कहना है कि शादी के बाद आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए दोनों पक्षों को कम से कम एक साल अलग रहना होगा, वरना तलाक नहीं मिलेगा। एक नव दंपति ने उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर कहा था कि एक साल की तय सीमा को खत्म किया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने दोनों की अर्जी खारिज कर दी। न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर ने कहा, आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम में दी गई शर्तो का पालन करना जरूरी है। इस कानून में दी गई एक साल की शर्त कोई औपचारिकता नहीं बल्कि एक प्रावधान है। दो पक्षों को एक साल तक अलग रहने में असुविधा होगी, महज इस आधार पर कानून में बदलाव नहीं किया जा सकता है और न ही अदालतों के पास यह अधिकार है।