नई दिल्ली:नगर निगम उत्तरी ने इस वर्ष मात्र आठ माह की अवधि में कुत्तों की नसबंदी पर कुल करीब 1.11 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। हैरत की बात यह है कि हर साल करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी बीत दो साल पांच माह के भीतर निगम द्वारा मात्र 19,841 कुत्तों की ही नसबंदी की गई है। नतीजतन, इस वर्ष अब तक कुत्तों के काटने से 17 लोगों की मौत हो चुकी है। नगर निगम उत्तरी के दो अस्पताल और पांच पॉलीक्लीनिक के इस साल के आंकड़े यही तस्दीक कर रहे हैं।
सदन में पूछे प्रश्न
सोमवार को नगर निगम उत्तरी सदन की बैठक में सदन की नेता मीरा अग्रवाल व निगम पार्षद राजपाल राणा द्वारा पूछे प्रश्नों में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। दोनों ने अल्पकालिक प्रश्नकाल के दौरान सवाल पूछे कि निगम उत्तरी में कितने लोगों को आवारा कुत्तों के काटने से रैबिज हुआ। रैबिज से कितने लोगों की मौत हुई। विभाग के पास किन-किन आवारा जानवरों को पकड़ने जिम्मेदारी है। अब तक विभाग ने कौन-कौन और कितने जानवर पकड़े हैं। इस पर नगर निगम उत्तरी पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग, निदेशक ने जो आंकड़ें प्रस्तुत किए, वह चौंकाने वाले थे।
कुल 1.55 लाख आवारा कुत्ते हैं
नगर निगम उत्तरी में कुल 1.55 लाख आवारा कुत्ते हैं। 1 अप्रैल, 2012 से लेकर सितंबर, 2014 तक मात्र 19,841 कुत्तों नसबंदी की गई। वहीं, इन कुत्तों की नसबंदी के लिए इस्तेमाल में आने वाली गाड़ियों, ईंधन, टीकाकरण, कर्मचारियों के वेतन पर 2014 अगस्त तक कुल 1 करोड़ 11 लाख 49 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। खर्च की गई यह रकम काफी बहुत अधिक हैं।
बढ़ रही है मरीजों की संख्या
नगर निगम उत्तरी कुत्तों की नसबंदी चार गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा करवाती है। हिंदू राव अस्पताल में वर्ष 2013 में कुत्ते काटने के कुल 11,979 मरीज पहुंचे थे। 30 जून, 2014 तक यहां 9,707 कुत्ते काटने के मरीज आ चुके हैं। वहीं महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में कुत्ते के काटने के 2013 में 6,228 व 30 जून, 2014 तक कुल 9,707 मरीज अस्पताल पहुंच चुके हैं।
दोनों अस्पतालों के आंकड़ों पर गौर करें तो कुत्ते काटने के शिकार होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वहीं, निगम उत्तरी के चार पॉलीक्लीनिक में पिछले वर्ष कुत्ते काटने के 5,994 व 30 जून, 2014 तक 5,653 मरीज पहुंच चुके हैं।