कसक: गरीब क्या स्वास्थ्य सेवाओ का अचार डाले ??????

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lohiya-aspatalफर्रुखाबाद: (दीपक शुक्ला) सूबे में स्वस्थ्य सेवाओ का जो हल वह किसी से झुपा नही| बदहाल और बीमार व्यवस्था को स्वस्थ्य बनाने के असफल प्रयास किये जा रहे है| यह गाँव की भाषा में कहिये की “भूसे में लाठी मारना” | वही जनपद स्तर पर अधिकारियो के द्वारा किया जा रहा है| वर्षो में कई निरीक्षण हो जाने के बाद कागजो में सब कुछ ठीक ठाक की रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेज कर अपने नम्बर बढ़ा लिए जाते है| बदले में हकीकत के पायदान पर गरीब को मिलती है कराहट और मौत| या तो वह इलाज के लिये डाक्टर को इस तरह बुलाता है की जैसे डाक्टर इसे फांसी पर चढ़ा देगे| यह मान लीजिये की कम से कम सरकारी अस्पतालों का तो यही हाल है| जो वाक्या बीते दिन मेरे साथ हुआ वह अन्तरात्मा को झकझोरने वाला जरूर था|

राममनोहर लोहिया अस्पताल में जिलाधिकारी के निर्देश पर लिखा गया है दलालों से साबधान| यह भी लिखा गया है की यंहा किसी भी अपरचित व्यक्ति से मरीज को रिफर कराने की राय ऩा ले| वह दलाल हो सकता है| डीएम नरेन्द्र कुमार ने लोहिया अस्पताल का प्रभारी अधिकारी नगर मजिस्ट्रेट को बना रखा है| जो आये दिन अखबारों में खबरे छापने के बाद अस्पताल का केबल निरिक्षण करके ही लौट जाते है| शायद उन्हें कोई कमी नजर नही आयी| शाम का समय था मै किसी सिलसिले में लोहिया अस्पताल के गेट पर पंहुच गया | तो अचानक नजर एक आदमीयों के एक झुड पर गयी| एक गंदे कपड़े पहने अधेड़ उनके बीच में खड़ा था| कुछ लोग उससे मरीज को भर्ती कराने की बात कर रहे थे| मैंने पास जाकर देखा तो पता चला की सभी मिलकर महिला मरीज के पति को निजी अस्पताल में भर्ती कराने की बात कह रहे थे| बाते इस तरह से हो रही थी मानो समझाने वाले लोग मरीज के परिचित हो| वह कह रहे थे की यदि डाक्टर 10 हजार बतायेगे तो वंहा केबल पांच हजार में ही करा देगे बस यंहा से ले चलो| यंहा इलाज नही होता|

कुछ समय के बाद माजरा समझ में आया की महिला मरीज को बीते कुछ दिनों से बुखार आ रहा था उसके शरीर में पानी की कमी हो गयी थी| मैंने समझने में देर नही की और मरीज के पति से बात कर रहे दलालो को खरीखोटी सूना दी| माजरा समझ कर सभी खसक गये| शायद कैमरे को देखकर! | मेरे मन में तडप रहे मरीज की मदद करने की भावना जग्रत हो गयी और उसके पति की गरीबी पर भी तरस आ गया| मैंने उनसे कहा की जब सभी सरकारी स्वास्थ्य सेवाए मुफ्त में मिल रही है तो फिर मरीज को क्यों ले जा रहे हो| महिला मरीज के पति की आँखों में चमक आ गयी| उसने हाथ जोड़कर कहा की साहब आप कुछ कर दीजिये मेरी मदद| उसके निबेदन करने की जरूरत ही नही थी मैं पहले से ही उसकी मदद करने को तैयार था|

मरीज को अंदर ले गया आपातकाल में चिकित्सक से कह कर उसे भर्ती करा दिया| मरीज के परिजनों के जैसे जान में जान आ गयी| मुझे भी अंदर से शुकून मिला की चलो एक गरीब की मदद हो गयी वह दलालों के चक्कर से बच गया| मरीज को वार्ड में लिटा दिया गया| कुछ देर बाद चिकित्सक ने कह दिया की भाई साहब यह फिजिशियन का केश है उनको लिख दिया गया है| इस पर मैंने पुन: पूंछ दिया की कब आयेगे डाक्टर इस पर उन्होंने कहा की कागज उनके घर पर जायेगा उसके बाद चिकित्सक उसपर हस्ताक्षर करेगे फिर वह आकर देखेगे| मैने कहा की मरीज की हालत गम्भीर है और जब तक कागज उनके घर जायेगा तब तक शायद मरीज …….|

इस पर डाक्टर ने कहा की यही नियम है भाई साहब| लेकिन डाक्टर ही कहते है बीमारी में प्राथमिक चिकित्सा बहुत महत्व पूर्ण होती है| लेकिन वहा नियम यही है की मरीज चाहे ..जाये लेकिन चिकित्सक मोबाइल पर आपात स्थित में भी नही आएगा| फ़िलहाल शायद कोई कर्मचारी फिजिशयन के पास कागज लेकर उनके घर गया होगा जब तक वह यह खबर देने आया की डाक्टर घर पर नही मिले एक घंटे से अधिक का समय हो चुका था| मरीज की हालत बिगडती ही जा रही थी| पुन: जब कहा गया तो फिजिशियन को फोन कर कहा गया की आप के पास समय हो तो देख ले एक महिला गम्भीर है| जिस पर चिकित्सक ने कह दिया ठीक है| ठीक है के बाद डाक्टर ने एक घंटे का समय लगा दिया अस्पताल में आने के लिये| महिला तेज तेज सांसे ले रही थी| उनके क्रिया कलाप से लग रहा था की डाक्टर इलाज करने नही बल्कि रिफर करने ही आये थे| आते ही उन्होंने मरीज को केबल चश्मे के अंदर से देखा और वापस आ गये| उन्होंने उसकी रिफर पर्ची तैयार कर दी और वापस चले गये| मरीज घबराहट से बेहाल था| रिफर करने के बाद समझ में आया की क्या कोई कर लेगा जब निजी चिकित्सालयों के तार सरकारी तन्त्र व चिकित्सको के साथ जुड़े है|

देर रात मजबूरन मरीज के परिजन उसे लेकर गम्भीर हालत में सरकारी सेवाओ को कोसते हुये चले गये| बुधवार को फोन आया की महिला ने अंतिम साँस ले ली है| तब हमे लगा की इससे तो अच्छा वह गरीब दलालों के चक्कर में ही पढ़ जाता वे केबल खून ही चूसते कम से कम उसे तसल्ली हो जाती की उसके मरीज का इलाज हुआ|
अब सरकारी सेवाये गरीबो के लिए नही बल्कि उन्हें मिलती है जिन्हें इसकी जरूरत तक नही है| गरीब इनका आचार ना डाले तो क्या करे|
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