लानत है- चकबंदी कार्यालय की हेराफेरी से नगर में लुटी नजूल की जमीने, निर्भया केंद्र खोलने को नहीं मिला कोई टुकड़ा

Uncategorized

MUKESH RAJPUTफर्रुखाबाद: बड़े ही अफसोस और लानत भरी बात है कि नगर में बस अड्डे से लेकर बढ़पुर मंदिर तक और लाल सराय और ठंडी सड़क पर हजारो वर्गमीटर नजूल की जमीन पिछले तीस साल में चकबंदी कार्यालय और भूमाफियो की मिलीभगत से हड़प ली गयी मगर एक छोटे से निर्भया केंद्र को खोलने के लिए जिला प्रशासन को नगर में जमीन नहीं मिल पाई| जिला निगरानी समिति की बैठक में अध्यक्ष और सांसद मुकेश राजपूत को टका सा जबाब दे दिया गया कि महिला उत्पीडन रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जिले में खोले जा रहे निर्भया केंद्र के लिए जमीन नहीं मिली| हालाँकि श्री राजपूत के कहने पर जिला अस्पतालों में खाली पड़ी जमीन तलाशने के लिए जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी को कह दिया|

तब बसपा सरकार थी जब रोडवेज़ बस अड्डे के सामने बनी बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स चारागाह की जमीने है ये मामला प्रकाश में आया था| गेस्ट हाउस से लेकर बैंक की जमीन कभी नजूल थी जिसे नगरपालिका ने कभी नीलाम नहीं किया था| जाँच शुरू हुई| तब के अधिकारी मालपानी खा पीकर बिना डकार लिए जिले से चलता हो गए| जाँच दब गयी| तब ही ये प्रकाश में आया था कि क्रिश्चियन कॉलेज के मैदान के आगे सड़क से लगी जमीन से लेकर बस अड्डे तक सड़क की 40 फ़ीट की पटरी नजूल की जमीन है जिसे 60/70 के दशक में लेखपालो ने अपने परिवारो और भू माफियाओ के नाम रातो रात दर्ज कर ली| इसमें एक एम एल सी की पत्नी के नाम का भी खुलासा हुआ था जिसकी ऍफ़ आई आर तक लिखने के आदेश तत्कालीन एस डी एम श्री वर्मा ने लिए थे| मगर मामला सत्ता का फसते ही सब कुछ दफ़न हो गया| जमीन आज तक वापस सरकार को नहीं मिल सकी| अरबो रुपये की जमीन माफिया डकार गए मगर महिलाओ के लिए खुलने वाले निर्भया केंद्र के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो पायी| इससे बड़े अफ़सोस की बात और क्या हो सकती है| हिन्दू समाज में तो मरने के बाद एक गज जमीन तक मय्यससर नहीं होती फिर भी लोग है कि. बड़ी बेशर्मी से ………..

फर्रुखाबाद को लूट कर ही बंद होगा चकबंदी कार्यालय-
फर्रुखाबाद नगर में पिछले 35 साल से चकबंदी चल रही है| पांचाल घाट स्थित सोता बहादुरपुर गाव में स्थित 35 साल में जब ये कार्यालय चकबंदी विभाग काम पूरा नहीं कर पाया तब आगे क्या कर पायेगा| 35 साल पहले नगर की जमीनो के सारे रिकॉर्ड जब इस कार्यालय को दिए गए थे तब इस नगर में दो दर्जन तालाब थे| एक सैकड़ा बीघा से ज्यादा नजूल की जमीन थी| आज वो सब गायब हो चुकी है| नगर के कई रहीस किसी उद्योग से नहीं इसी नजूल की जमीन की हेराफेरी से अरबपति है| नगर के भू माफिया इस कार्यालय के लेखाकारों से मिलकर पुराने अभिलेखो में नए नाम दर्ज करवाकर जमीन खरीद लेते है फिर उसे आगे बेच देते है| क्या नेता और क्या अफसर सब मिलकर ये लूटतंत्र चलाते रहे| कई बार तो जमीन की श्रेणी तक बदल दी जाती है|
क्या है निर्भया केंद्र-
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन केंद्र द्वारा देश में सभी 640 जिलों और 20 अतिरिक्त स्थानों पर स्थापित किए जाएंगे तथा परियोजना पर लगभग 477 करोड़ रुपए की लागत आएगी।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पहले ही अवधारणा नोट तैयार कर चुका है जिसके खर्च की वित्त समिति की मंजूरी मिल गई है और इसे कानून मंत्रालय, वित्त, आदिवासी मामले, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय जैसे विभिन्न भागीदारों के पास उनके सुझाव के लिए भेजा गया है।

निर्भया केंद्र छेड़छाड़, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए ऐसी जगह होगी जो उन्हें मेडिकल सहायता, पुलिस सहायता, मानसिक, सामाजिक सहायता और परामर्श, विधिक सहायता तथा अस्थाई आश्रय मुहैया करेगा।

हिंसा पीड़िता मेडिकल सहायता के तहत निर्भया केंद्रों से संपर्क कर सकती हैं जहां उन्हें अस्पताल भेजे जाने और प्राथमिकी दर्ज कराने जैसी सहायता मुहैया की जाएगी। उन्हें परामर्श दिया जाएगा, विधिक सहायता मुहैया की जाएगी और भोजन एवं वस्त्र मुहैया कराकर संक्षिप्त अवधि के लिए केंद्र में रखा जाएगा।

पीड़िताओं को वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा भी दी जाएगी। शीघ्र एवं उपयुक्त प्राथमिकी दर्ज कराने में सहायता के लिए गृह मंत्रालय, राज्य या जिला द्वारा एक सेवानिवृत्‍त पुलिस अधिकारी को तैनात किया जाएगा। वकीलों का एक समूह पीड़िता को कानूनी सलाह देगा।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, निर्भया केंद्र शुरू में किराए के परिसरों में चलाए जाएंगे और पीड़िताओं के लिए आश्रय की सुविधा भी केंद्र में होगी। अवधारणा नोट में कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय कार्यबल गठित किया जाएगा, जिसके सदस्यों में गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य, कानून एवं न्याय के प्रतिनिधि होंगे। वे सालाना तौर पर सभी केंद्रों की निगरानी और मूल्यांकन करेंगे।

एक परियोजना प्रबंधन इकाई भी स्थापित की जाएगी जो राष्ट्रीय कार्यबल के सचिवालय के रूप में काम करेगा। ये केंद्र चौबीसों घंटे खुले रहेंगे। प्रशासनिक एवं कामकाजी स्वायत्ता के लिए केंद्र का पंजीकरण सोसाइटीज रेजीस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत एक सोसाइटी के रूप में किया जाएगा।

केंद्र का संपूर्ण प्रबंधन स्थानीय प्रबंधन समिति करेगी जिसके सदस्य जिलाधीश, पुलिस अधीक्षक, जिला न्यायाधीश, बार काउंसिल के अध्यक्ष, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ), जिला पंचायत अधिकारी और सिविल सोसाइटी (के सदस्य) होंगे।

[bannergarden id=”8″] [bannergarden id=”11″]