डेस्क: प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व मुख्य सचिव व राजस्व परिषद के चेयरमैन जावेद उस्मानी को राज्य सूचना आयोग का मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) बनाने की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है। राजभवन ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की संस्तुति के संदर्भ में उस्मानी के संबंध में सतर्कता रिपोर्ट तलब कर ली है।
बताते चलें सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने उस्मानी का नाम मुख्य सूचना आयुक्त के लिए तय किया था। बाद में नाम को राज्यपाल राम नाईक के अनुमोदन के लिए भेज दिया गया था। बुधवार को राजभवन ने नाम को स्वीकृति देने के स्थान पर उस्मानी के संबंध में सतर्कता रिपोर्ट तलब कर ली।
राजभवन ने सरकार को निर्देशित किया कि सीआईसी के लिए संस्तुत उस्मानी के संबंध में सतर्कता आख्या भेजी जाए। जानकार बताते हैं कि उस्मानी के संबंध में सरकार को निर्णय लेना आसान नहीं है। उनसे जुड़े कुछेक मामले मीडिया में आ चुके हैं।
ये हो सकते हैं कारण
मसलन, हजारों करोड़ के कोल ब्लाक आवंटन से जुड़े विवादित मामले में सीबीआई उनसे पूछताछ कर चुकी है। दूसरा, सुप्रीम कोर्ट निगरानी में जांच अभी भी जारी है। वह इस मंत्रालय में कुछ समय तक संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत थे। इसके अलावा एक तथ्य यह उभारा गया है कि उन्होंने लोकसेवक के रूप में सीआईसी के लिए आवेदन किया।
जबकि किसी सरकारी लाभ के पद पर रहते हुए इस पद के लिए आवेदन नहीं किया जा सकता है। राज्यपाल के समक्ष कुछ लोगों द्वारा उस्मानी की कार्यशैली को लेकर व्यक्तिगत शिकायतें भी पहुंचाई गई हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार के पास अब इस मामले में ज्यादा रास्ते नहीं है। स्पष्ट तौर पर दो विकल्प नजर आ रहे हैं।
पहला, सतर्कता आख्या तैयार करवाई जाए और राजभवन का रुख देखते हुए उसका मूल्यांकन किया जाए। संतोषजनक तथ्य होने पर ही आख्या भेजी जाए। दूसरा, इस चयन प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डालकर सीआईसी चयन की कार्यवाही नए सिरे से की जाए। ऐसे में सीआईसी चयन एक बार फिर लटक सकता है।
[bannergarden id=”8″] [bannergarden id=”11″]