फर्रुखाबाद: संसदीय क्षेत्र विकास योजना के तहत सांसदों को मिलने वाले 5 करोड़ प्रति वित्तीय वर्ष में पहली 2.5 करोड़ रुपये की क़िस्त जिला मुख्यालय पर पहुंच गयी है| जल्द ही जिला विकास अभिकरण से सांसद मुकेश राजपूत को विकास कार्य कराने के लिए सूची पेश करने का पत्र भेजा जायेगा| दूसरी तरफ विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि सांसद के सिपहसालार मनपसंद कार्यदायी संस्थाओ के माध्यम से कार्य कराने के लिए दबाब बना रहे है जबकि डीआरडीए जिलाधिकारी द्वारा नियमानुसार चिन्हित कार्यदायी संस्थाओ से ही कार्य कराने के सबंध में पत्र पहले ही लिख चुका है| सवाल है कि आखिर विकास कार्य के लिए मनमानी नोडल एजेंसी के चयन पर दबाब क्यों दिया जा रहा है| विकास कार्यो की सूची अभी तक डीआरडीए में सांसद द्वारा उपलब्ध नहीं करायी गयी है| खबर है कि सोलर लाइट लगाने के लिए प्राइवेट संस्था के लिए दबाब बनाया जा रहा है जबकि यूपी नेडा इस काम के लिए अधिकृत सरकारी एजेंसी उपलब्ध है|
दागी और बदनाम संस्थाओ की क्यों है चाहत?
दागी और बदनाम कार्यदायी संस्था में पक्के कामो में 22 से 27 फ़ीसदी कमीशन चलता है| वाही कच्चे कामो में 35 से 40 प्रतिशत का कमीशन लिया और दिया जाता है| कमीशन खाने वालो में सांसद और विधायक से लेकर प्रशासनिक अफसर और विभाग के इंजीनियर तक का हिस्सा होता है| ऐसे में गुणवत्ता पूर्वक काम की कैसे उम्मीद की जा सकती है| वही पी डब्लू डी जैसे विभागो में कमीशन की दरे काफी कम है| हाँ बिना कमीशन वाला कोई विभाग उपलब्ध नहीं| यदि कोई दावा पेश करता है तो छानबीन करने के बाद उसे सम्मानित किया जा सकता है| खुद जेएनआई ये पहल करने को तैयार है|
जनता के पैसे बर्बाद करते है ऐसे विभाग-
दागी और बदनाम विभाग जहाँ सरकारी नौकर केवल कमीशन के लिए काम करते है, जनता का धन भी खूब बर्बाद करते है| बनी हुई सड़क को दुबारा (बिना बनाये भुगतान निकाल देना) बना देना| एस्टीमेट बहुत ज्यादा बनाना (ये काम डूडा में खूब होता है)| ऐसे काम चुनना जिसमे खूब कमीशन मिले (नगरपालिका इस काम के लिए फेमस है)| और बेमतलब के काम कर देना (मंत्री/विधायक अनंत कुमार मिश्रा की निधि से बने और बंद पड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और तमाम सांसदों और विधायको के बनाये हुए सड़को के किनारे के बस शेड इस बात की गवाही देते है जिस पर प्रतिनिधि अपना नाम गुदवाते है|
जनप्रतिनिधि के तौर पर प्रत्येक सांसद को प्रति वित्तीय वर्ष 5 करोड़ की धनराशि अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यो के लिए मिलती है| इसके तहत सांसद जनता की मांग पर हैण्डपम्प से लेकर नाली सड़क बनबाने का काम कराते है| सांसद द्वारा तय कामो के लिए इस विकास निधि का पैसा खर्च किया जाता है| आमतौर पर काम की सूची के साथ ही संस्था का चयन भी कई सांसद करते रहे है और इसके बदले कमीशनबाजी का खेल भी खूब चलता रहा है| कमीशनबाजी के चक्कर में ही घटिया काम करने वाली संस्था सीएनडीएस, पैक्सफेड जैसी दागी संस्थाओ को इसी बजह से खूब काम मिलता रहा है| हालत ये है पिछले बीस सालो में इन दोनों संस्थाओ द्वारा कराये गए कामो में कई काम ऐसे है जो आज भी अपूर्ण है और धराशायी हो चुके है| खेल कमीशन का जो है| सीएनडीएस की फर्रुखाबाद यूनिट के एक प्रोजेक्ट मैनेजर फर्रुखाबाद और कन्नौज में इन्ही निधियों में करोडो के बारे न्यारे कर अमेरिका भाग चुके है| हालत ऐसी ही कुछ पैक्सफेड में रहे यहाँ के प्रोजेक्ट मैनेजर की रही है| ऐसे में इन संस्थाओ को अगर “सांसद” अपनी विकास निधि कार्यो को सम्पन्न कराने के लिए नामित करता है तो जाहिर है की सांसद की ईमानदारी पर ऊँगली उठना लाजिमी है| आखिर खर्च होने वाला पैसा जो जनता का ही है|
जिलाधिकारी एन के एस चौहान ने शासनादेश के अनुसार अभी तक जिन निर्माण/कार्यदायी संस्थाओ का चयन निर्माण किया है वे निम्न है| इन संस्थाओ का चयन काम की गुणवत्ता को देखते हुए किया है|
१- लोकनिर्माण विभाग
२- ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आर ई एस)
३-जल निगम (केवल पेयजल हेतु)
४- यू पी एग्रो (केवल पेयजल व्यवस्था हेतु)
५- जिला पंचायत/क्षेत्र पंचायत
६- सिंचाई विभाग (जल संशाधन हेतु)
७- नेडा (केवल सौर्य/वैकल्पिक ऊर्जा हेतु)
८-नगर पालिका परिषद/नगर पचायते (केवल संबंधित क्षेत्र हेतु)
९- विद्युत विभाग (केवल विद्युत से संबंधित कार्य)
१०- डूडा (केवल नगरीय क्षेत्र)
११- उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम लिमिटेड फर्रुखाबाद|
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