नई दिल्ली। कोर्ट ने दिल्ली में सरकार बनाने के मुद्दे पर केंद्र और एलजी को फटकार लगाई है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और एलजी से पूछा है कि उन्हें अपने स्टैंड को साफ करने में इतना वक्त कैसे लगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ये भी पूछा कि दिल्ली में कैसे सरकार बनेगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि जनता को चुनी हुई सरकार के शासन में रहने का हक है।
कोर्ट के तीखे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सरकार बनाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार और एलजी से कई तीखे सवाल पूछे हैं। कोर्ट ने पूछा है कि दिल्ली में सरकार कैसे बनेगी?, दिल्ली में सरकार का गठन कैसे होगा? क्या बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में है? एलजी और केंद्र को सरकार पर रुख साफ करने में इतना वक्त क्यों लगा? कोर्ट ने कहा कि ये फैसला पहले भी लिया जा सकता था इसके लिए इतना वक्त क्यों लगा।
राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
सूत्रों के मुताबिक खबर आ रही है कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग को मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि दिल्ली में बीजेपी इस वक्त सबसे बड़ी पार्टी है। यानी बीजेपी को ही सरकार बनाने के लिए न्योता दिया जा सकता है। लेकिन कोर्ट में जब केंद्र सरकार ने बात बताई तो कोर्ट ने सरकार को को कड़ी फटकार लगाई।
25 नवंबर को उपचुनाव
70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में फिलहाल 67 विधायक हैं क्योंकि बीजेपी के 3 एमएलए सांसद बन चुके हैं और इन सीटों पर नवंबर में उपचुनाव होना है। 67 विधायकों में बीजेपी के सबसे ज्यादा 29, विनोद कुमार बिन्नी के अलग होने के बाद आम आदमी पार्टी के पास 27,कांग्रेस के 8 और 3 निर्दलीय विधायक हैं।
बीजेपी के 29 विधायक
BJP सूत्रों के अनुसार दिल्ली उपचुनावों के तीनों सीट अगर बीजेपी जीत जाती है तो सदन में बीजेपी के पास 32 विधायक हो जाएंगे। 70 सीटों की दिल्ली विधानसभा में एक सीट स्पीकर की होगी। जिससे सदन में कुल 69 विधायकों को ही गिना जाएगा। ऐसे में सरकार बनाने का जादूई आकड़ा 35 होता है। अगर दो निर्दलीय विधायक बीजेपी को समर्थन देते हैं तो उनके पास 34 विधाकों का समर्थन हो जाएगा जो की जादूई आकड़े 35 से सिर्फ एक कम है।
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