फर्रुखाबाद: प्रदेश सरकार ने राजकीय और अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में पढने वाली 90 हजार छात्राओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देने के लिए हाल ही में एक शासनादेश जारी किया है| जिसमे यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि, सरकार वास्ताव में छात्राओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देना चाहती है या फिर यह एक लॉलीपॉप है| देखा जाए तो इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जिससे यह लगे की छात्राओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिग मिल सकेगी| बल्कि ट्रेनिंग के नाम पर आवंटित बजट में खेल होने की अच्छी खासी गुंजाइश है|
महिलाओं और बेटियों के साथ लगातार बढ़ रहीं छेड़छाड़ और दुराचार की घटनाओं से प्रदेश सरकार की नाक में दम हो गई है| घटनाओं को रोकने के लिए अब तक जो भी उपाय अपनाए गए हैं, सब बेकार साबित हुए हैं| जिससे आजिज आकर उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूली छात्राओं को मार्शल आर्ट (जूडो, कराटे, कुंग-फू, ताईक्वान्डो आदि) की ट्रेनिंग देने का फैसला किया है| इसी सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर तैयार किए गए एक मसौदे को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहली अक्तूबर को हरी झंडी दे दी है| इस शासनादेश की इबारत देखने के बाद यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि सरकार छात्राओं को हकीक़त में मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देना चाहती है? या फिर छात्राओं को ट्रेनिंग का लॉलीपॉप देकर अपना झूठा प्रचार करना चाहती है?
प्रदेश सरकार ने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए 25 लाख का बजट स्वीकृत किया है| जिससे सभी मंडलों में मार्शल आर्ट के कोच रखे जायेंगे| प्रत्येक कोच को 10 हजार रूपए प्रतिमाह की दर से 10 माह तक मानदेय का भुगतान किया जाएगा| यह कोच राष्ट्रीय और राज्य स्तर के खिलाड़ी होंगे| यह कोच मार्शल आर्ट ट्रेनिंग के लिए चिन्हित बालिका स्कूलों के व्यायाम शिक्षकों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देंगे| व्यायाम शिक्षक ट्रेनिंग लेकर छात्राओं को स्कूलों में जूडो-कराटे सिखाएंगे| अब सवाल यह उठता है, ‘माध्यमिक स्कूलों में तैनात अधिकतर व्यायाम शिक्षक उम्र का एक पड़ाव पार कर चुके है| क्या वह इस समय मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ले पाने की स्थिति में है? अगर यह मान भी लिया जाए, ‘व्यायाम शिक्षक मार्शल आर्ट सीख सकते हैं| तो वह कौन सी ऐसी जादू की छड़ी है जिससे वह दो दिन में मार्शल आर्ट में पारंगत हो जाएंगे? मार्शल आर्ट को सीखने के लिए महीनों नहीं वर्षों समय खपाना पड़ता है, तब जाकर कहीं कोई खिलाड़ी तैयार होता है| अगर देखा जाए तो इस आदेश में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके आधार पर यह कह पाना संभव हो कि यह एक अच्छी पहल है और छात्राओं को इसका लाभ होगा| सरकार ने रही सही कसर यूपी जूडो फैडरेशन के सिक्रेटरी मुनव्वर अंजार को सलाहकार नियुक्त कर पूरी कर ली है| मुनव्वर की छवि काफी विवादित है और उनपर कई आरोप भी लगते रहे हैं| ऐसे व्यक्ति के सलाहकार नियुक्त किए जाने ट्रेनिंग बजट में भी खेल होने की भी संभावना बढ़ गई है|
अच्छा तो तब होता जब शासन की ओर से प्रत्येक स्कूल में मार्शल आर्ट के ट्रेनर रखे जाते| साथ ही बालिकाओं की मार्शल आर्ट की ड्रेस और जूडो ट्रेनिंग के लिए आवश्यक गद्दों का स्कूलों में इंतजाम किया जाता| जिससे जनपद स्तर के मार्शल आर्ट खिलाड़ियों को भी अवसर मिलता| ट्रेनिंग की मॉनिटरिंग की व्यवस्था करवाई जाती| लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा कुछ भी होता दिखाई नहीं दे रहा है|