फर्रुखाबाद: चाहे समाजवादी पार्टी के नेताओ का दबाब हो या फिर प्रधानो की दबंगई| रिश्वतखोरी की कमजोर नस में दबे हो या फिर प्रधान और नेता को खुश करने का लालच| नगरो में व्यवहार बना रहे हो या फिर चंद पैसे का हो लालच| सभासद का दबाब हो या फिर हो किसी की सिफारिश| समाजवादी पेंशन योजना में सत्यापन करने वाले प्रथम लेवल के अधिकारियो और कर्मचारियों ने अगर गलत चयन कर दिया तो बचना मुश्किल है| इस पेंशन योजना में पात्र बनाने से पहले 4 स्तर से जाँच की जा रही है| और इसके बाद भी पात्र या फिर अपात्र बनाना किसी के हाथ में नहीं| मानको के अनुसार इस बार कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर ही तय करेगा कि पेंशन किसे मिले या फिर न मिले| प्रमुख सचिव ने इस सबंध में सभी जिलो में शासनादेश भेज समाजवादी पेंशन का काम जल्द से जल्द निपटाने के आदेश कर दिए है|
मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना समाजवादी पेंशन योजना के पात्रो के चयन का काम दूसरे चरण में चल रहा है| प्रथम सत्यापन के बाद सत्यापन को फीड करने का काम कंप्यूटर द्वारा पूरा किया जा चूका है और एक मौका ग्राम और वार्ड स्तर पर गलती सुधार करने का या फिर कहें कि आपत्तियां मांगने का किया जा रहा है| हालाँकि शासनादेश है कि खुली बैठक में ये सब किया जाए| मगर अब तो खबरे मिल रही है उसके मुताबिक किसी भी ग्राम सभा या वार्ड स्तर पर खुली बैठको का आयोजन पात्रो के चयन के लिए नहीं किया गया है| अधिकांश सत्यापन प्रधानो और वार्ड मेम्बरों के घर पर किया गया| सूत्रों के अनुसार आपत्रो की जमकर भरमार हो चुकी है| कई सत्यापनकर्ताओ ने तो सत्यापन के फार्म को समझ ही नहीं पाया और खानापूर्ति करके वापस कर दिया ऐसे आवेदनो को वापस नगरपालिका को भेज पूरा कराया जा रहा है क्योंकि सर्वाधिक अपूर्ण फार्म नगरपालिका फर्रुखाबाद से ही समाज कल्याण विभाग को भेजे गए है|
फर्रुखाबाद नगर जहाँ खूब पढ़े लिखे लोग रहते है वे भी मुफ्त के 500 रुपये के रसगुल्ले को चूसने को तैयार है भले ही दोमंजिली मकान में चमचमाती कार भी खड़ी हो| नगर की सबसे पाश कॉलोनी आवास विकास कॉलोनी, जहाँ गरीब के लिए मकान खरीदना तो दूर की बात किराये पर रहने का सोचना भी मुश्किल है वहां भी खूब पात्र सत्यापनकर्ता ने बनाये है| हालाँकि सफाई ये पेश की कि सभासद का दबाब है मगर प्रमुख सचिव की चिट्ठी के क्रम संख्या में लिखी इबारत जब उन पर लागू होगी तब न सभासद बचाने आएगा और न ही कोई नेता…..
समाजवादी पेंशन योजना का फाइनल शासनादेश- देखे प्रमुख सचिव की चिट्ठी-
26 सितम्बर 2014 को प्रमुख सचिव द्वारा भेजे शासनादेश के अनुसार प्रथम चरण के सत्यापन के बाद खुली बैठको में आपत्ति ली जाएगी और उसके बाद ये डेटा एक बार फिर से कंप्यूटर पर अपडेट किया जायेगा| तीसरे चरण में कंप्यूटर द्वारा रॅंडम आधार पर चेकिंग के लिए डेटा ब्लाक और नगर स्तर पर अधिकारियो को दिया जायेगा जो पुनः सत्यापन के बाद अपने डिजिटल सिग्नेचर से ऑनलाइन डेटा फीड करेंगे| ध्यान रहे तीसरे चरण से पहले जिले स्तर का डेटा लखनऊ स्तर पर पहुंच चुका होगा और बदलाव की सारी गुंजाईश ख़त्म हो चुकी होगी| अधिकारियो को क्रॉस चेक करने के लिए डेटा वेबसाइट से ऑनलाइन (इंटरनेट) के माध्यम से लखनऊ के इन आई से सर्वर से ही मिलेगा और कंप्यूटर ही यह तय करेगा कि किसे चेक करना है| इसमें जिले स्तर के किसी अधिकारी और कर्मचारी के हाथ में कुछ नहीं होगा जो मनमानी कर सके और मनमाफिक सत्यापन करा सके| तीसरे चक्र में डेटा लाक होने के बाद चौथे स्तर के पुनः सत्यापन के लिए जिले के नोडल अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी चौथे चरण के सत्यापन के लिए डेटा अपने पासवर्ड से जेनरेट करेंगे| और कंप्यूटर द्वारा उपलब्ध डेटा को एक बार फिर से सत्यापन करने के लिए नोडल अफसर गाव गाव नगर नगर आवेदक के घर जायेंगे| चौथे चरण में प्राप्त डेटा को सत्यापित करने के बाद पायी गयी गलतियों और सुधार को फीड करने से पहले प्रथम चरण के सत्यापन अधिकारियो के दायित्यो को फिक्स करते हुए गड़बड़ी पाये जाने पर सबंधित वार्ड और ग्रामं पंचायत में दुबारा सूची तैयार कराएँगे| इसके बाद डेटा लाक कर दिया जायेगा और पात्रो के खातों में पेंशन ट्रांफसर कर दी जाएगी|
पूरी कवायद में आपत्रो के चयन करने वाले अधिकारियो के फसने के पूरे पूरे चांस है| क्योंकि जो पैमाना पात्रता का तय किया गया है उसके अनुसार नगर में किसी ने आवेदक के परिवार के पास अगर 25 वर्गमीटर का मकान है/ मोटरसाइकिल/कार टैम्पो आदि है/ बेरोजगारी भत्ता प्राप्त किया है/किसी प्रकार की घर में पेंशन आ रही है तो वो अपात्र है| सरकार ने पात्रता के लिए जो मानक तय किये है उसमे परिवार शब्द का इस्तेमाल किया है और नगर में बाप के नाम दोमंजिला मकान है, पति ने बेरोजगारी भहत्ता लिया है और माँ के नाम वृद्धावस्था पेंशन भी है तो चतुराई से अपनी बीबी का फॉर्म भरवाकर उसके सभासद के दबाब से पात्र करवा दिया है| ऐसे पात्रो को पेंशन मिल पायेगी ………. ये बड़ा सवाल है….और अगर मिल भी गयी तो सूची का ऑनलाइन प्रकाशन होने बाद पडोसी तहसील दिवस में नाक में दम कर देगा| और अखबारों में छपेगा सो ब्याज में…..
गाव के मामलो में कोई भी पेंशन पाने वाले, ट्रैक्टर, कर जीप, मोटरसाइकिल रखने वाले, 1 एकड़ से अधिक जमीन रखने वाले अपात्र की श्रेणी में होंगे| यहाँ भी ये पैमाने आवेदक के परिवार को मिलाकर गिने जायेंगे| खबर है कि गावो में अधिकांश पात्र बनाने के लिए आवेदको को भूमिहीन की श्रेणी में रख दिया गया जबकि हकीकत में अधिकांश भूमिहीन नहीं है| बात करने पर ग्राम पंचायत अधिकारी बताते है कि सरकार द्वारा टारगेट दिया गया है जबकि हकीकत में ऐसी कोई वाध्यता का आदेश नहीं है| सवाल ये है कि अगर पात्र न मिले तो क्या नगर के उद्योगपति पिक्कू बाबू को चयनित कर दिया जाए?
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