यौन उत्पीडन मामले में एएनएम को अब बहाली का लॉलीपॉप

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cmo 7फर्रुखाबाद: एएनएम के यौन उत्पीडन के मामले में महिला आयोग की सदस्य के आदेश के बावजूद भी दोषी डॉक्टर के खिलाफ शुक्रवार तक एफआइआर दर्ज नहीं हुई है| बल्कि दोषी डॉक्टर को कार्रवाई से बचाने के लिए सीएमओ ने एएनएम को बहाली का लॉलीपॉप दिया है|

शमशाबाद ब्लॉक की फैजबाग पीएचसी पर तैनात रही एक एएनएम ने अस्पताल के ही डॉ प्रभात के खिलाफ यौन उत्पीडन के मामले में तीन माह पूर्व डीएम से शिकायत की थी| डीएम के आदेश पर मामले की जांच अपर सीएमओ डॉ राजवीर सिंह को दी गई थी| जाँच के नाम पर पीडिता पर मामले में समझौते का दवाब बनाया गया| पीड़िता ने जब समझौता करने से इन्कार कर दिया तो सीएमओ ने उसे जांच में दोषी करार देकर सस्पेंड कर दिया| इसी बीच पीडिता ने मामले की शिकायत महिला आयोग में कर दी| जिसपर आयोग ने सम्बंधित थाना पुलिस को मामले की जांच कर दोषी के खिलाफ कारवाई करने का आदेश दिया| लेकिन पुलिस भी स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के सामने झुक गई और उल्टे एएनएम पर मामले में समझौता करने का दबाव बनाने लगी| पीडिता ने बीते शुक्रवार को महिला आयोग की सदस्य अर्चना राठौर के सामने पेश होकर सारी कहानी बयान की| महिला आयोग की सदस्य ने इस मामले में डीएम से चर्चा की| जिसके बाद उन्होंने बताया कि डीएम ने दोषी डॉक्टर के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाने का आश्वाशन दिया है| जल्द ही डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा| लेकिन दो दिन बीतने के बाबजूद भी दोषी डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है| उल्टे सीएमओ ने पूरे मामले पर पानी डालने की नियत से सस्पेंड एएनएम को बहाल किए जाने का लालच दिया है| सीएमओ ने अपने एक ख़ास लिपिक को एएनएम के घर भेजकर यह प्रस्ताव दिया है| लेकिन एएनएम डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़ी हुई है| वहीँ सीएमओ डॉ राकेश कुमार का कहना है कि किसी कर्मचारी को सस्पेंड करना कोई कार्रवाई नहीं है| एएनएम को जाँच के सम्बन्ध में जारी एसीएमओ का पत्र को रिसीव नहीं करने के सम्बन्ध में सस्पेंड किया गया था| जबकि एएनएम् ने अपनी शिकायत में जिन लोगों पर आरोप लगाए थे उन सभी के खिलाफ तबादले की कारवाई तभी कर दी गई थी| अब यदि वह चाहे तो बहाली ले सकती है|

स्वास्थ्य विभाग में चल रहे कारनामों की यह एक छोटी सी बानगी भर है| इस तरह घटनाए यहाँ आये दिन हो रही हैं| इसी तरह का एक प्रकरण कुछ दिन पूर्व सिविल अस्पताल लिंजिगंज में भी सामने आया था लेकिन अफसरों ने दबाव बनाकर उसको रफा दफा कर दिया| अफसरों के संरक्षण के चलते डॉक्टरों के हौसले बुलंद हैं|