श्राद्ध विशेष : लावारिश लाशो को गंगा में दफना रही यूपी पुलिस, 1001 में कर्मकांड तक का ठेका

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gangaa 89फर्रुखाबाद: एक तरफ सुप्रीम कोर्ट से लेकर मोदी सरकार तक गंगा को प्रदुषण मुक्त कर साफ़ करने के आदेश कर रही है| गंगा में पूजन के बाद विसर्जित होने वाली मिटटी तक की मूर्तियों को गंगा में प्रवाहित करने पर रोक लगी हुई है वहीँ दूसरी तस्वीर बड़ी ही घिनौनी है जो उत्तर प्रदेश की पुलिस के कारनामो की जीती जागती मिशाल है| लावारिश लाशो के अंतिम संस्कार के लिए आने वाली धनराशि में से भी कुछ बचाने के लालच में पुलिस महकमा लावारिश लाशो को गंगा में ही दफ़न कर रही है| जिनके कंधो पर कानून की रखवाली की जिम्मेदारी है वे ही दुर्योधन का रूप धारण कर गंगा का चीयर हरण करने पर उतारू है| जिलाधिकारी के शख्त रुख के बाद भी लाशो का गंगा में डालना जारी है |
गंगा में बढ़ते प्रदूषण के कारण गंगा के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था पर चोट पहुंच रही है। मोक्षदायिनी गंगा अब मैली होती जा रही है। जिसके कारण गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं के आने की संख्या भी कम होने लगी है। गंगा अब पाप धोते-धोते खुद ही मैली हो गई है। इतना ही नहीं जनपद से लेकर जनपद की सीमा की गर बात कारे तो गंगा को अपवित्र करने का पूरा प्रयास हो रहा है | पुलिस ठेके पर लाबरिश लाशो गंगा में दलबा देती है| और यदि मौका ना मिला तो गंगा घाट पर ही दी फुट गहरे गड्डे में लाश को तोप दिया जाता है| जिसे कुत्ते निकाल कर उसकी बोटी बोटी नोचते है| गंगा प्रदूषण के लिए विशेष अभियान छेड़े जिलाधिकारी महोदय ने एक दिन पहले ही पत्रकार वार्ता में गम्भीर लहजे में कहा था की लाशो को गंगा में फेंकने रोक लागाई जाएगी| लेकिन दुसरे दिन ही तस्बीर नही बदली कुछ तो डर नजर आता लेकिन खाकी तो खाकी है शायद उसने डीएम का फरमान नही सुना और लाश गंगा में डालने का काम जारी रहा| आज की ताजा तस्वीर तो कम से कम यही कह रही है| क्या गंगा में लाशे डालने से प्रदूषण नही फैलता अब इसका जबाब प्रशासन को देंना है फ़िलहाल गंगा घाटो की हकीकत क्या है|
हिन्दू धर्म की अगर बात करे तो श्राद्ध के महीने में पूर्वजो को याद कर उन्हें भोजन आदि दिया जाता है| लेकिन फर्रुखाबाद पुलिस 1000 रूपये देकर ठेके पर लाबरिश लाशे गंगा की गोद में फिक बा रही है| बड़ा सबाल यह है की क्या इस पर कभी रोक लग पायेगी क्या लाबरिश लाशो को कभी लकड़ी नसीब होगी ? यह बहुत बड़ा प्रशासन है लेकिन प्रशासन के लिए जरा सी बात| बुधवार को कमालगंज थाने से एक ट्रेन से कटी लावारिश लाश घटियाघाट पर गंगा में फेकी जा रही थी लेकिन कैमरे को देख कर मौके पर मौजूद सिपाही ने कहा की हम क्या करे की पैसा ही नही मिलता| अब प्रश्न यह उठता है की लाशो के अंतिम संस्कार के लिए आने वाला पैसा कौन खा रहा है यह भी जाँच का विषय है|
गंगा में बढ़ते प्रदूषण ने अब श्रद्धालुओं की आस्था को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। प्रदूषण के चलते इनका जल तो जहरीला हो गया है साथ ही इनके अस्तित्व को खतरा हो गया है। पवित्र व शुद्ध जल वाली पापनाशिनी गंगा का पानी काला हो चुका है। स्वच्छ गंगा का नारा देकर कुछ संगठन तो बने लेकिन उनका कोई कार्य गंगा में जहर घुलने से नहीं रोक सका है। कुछ संगठनों ने यहां इसके लिए प्रयास जरूर किया, लेकिन इसको कभी किसी राजनीतिक दल ने समर्थन नहीं दिया है। इनके किनारे बनी बस्तियों का गंदा पानी ही नहीं शौचालय और सुअर बाड़ों की गंदगी गंगा में जा रही है। गंगा में औद्योगिक प्रतिष्ठानों की गंदगी तो जा ही रही है। इसके किनारे बसी बस्तियों का सीवर तालाब बन चुकी है।
अधिवक्ता दीपक द्विवेदी ने बताया कि पुलिस रेगुलेशन एक्ट के यह साफ़ कहा गया है की जब पुलिस को को लावारिश लाश मिले तो उसके धर्म के अनुसार उसका कर्म कांड होना चाहिए| जमीन में दफनाने और गंगा में डालना पूरी तरह गैर क़ानूनी है|