नई दिल्ली:भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में आज इतिहास रच दिया है। भारत दुनिया का पहला देश बन गया जिसने अपनी पहली ही कोशिश में मंगल पर पहुंचने में कामयाबी पाई है। अंतरिक्षयान मंगल की सतह से 515 किलोमीटर दूर और रेडियो दूरी में धरती से 215 किलोमीटर दूर मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर चुका है। आज सुबह 7 बजकर 17 मिनट पर जैसे ही मंगलयान का लिक्विड इंजन शुरू हुआ। वैज्ञानिकों का दिल जोरों से धड़कने लगा। इसरो सेंटर में मौजूद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी स्क्रीन पर टकटकी लगाकर देख रहे थे कि पता नहीं क्या होगा।
मोदी ने दी बधाई
दुनिया के ताकतवर देश अपनी पहली कोशिश में नाकामयाब रहे, क्या भारत कामयाब हो पाएगा हर चेहरे पर यही सवाल और शंका थी, लेकिन जैसे ही सुबह करीब 8 बजे भारत का मंगलयान मंगल की कक्षा में पहुंचा। लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पीएम मोदी समेत तमाम वैज्ञानिकों ने जमकर तालियां बजाई। और एक दूसरे को कामयाबी की बधाई दी।
‘मंगल को मॉम मिल गई’
सफलता के ऐलान के साथ ही इसरो सेंटर में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को उनकी सफलता पर बधाई दी और कहा कि आज मंगल को मॉम मिल गई। मोदी ने कहा कि हमने अनजान स्थान पर पहुंचने की हिम्मत की है और लगभग असंभव काम को संभव कर दिखाया है। आज एक इतिहास बना है। गौरतलब है कि भारत अमेरिका, रूस और यूरोप के बाद भारत चौथा देश है जिसने ये कामयाबी हासिल की है।
अंतरिक्ष विज्ञान में भारत ने लिखा इतिहास
मंगल मिशन की सफलता के साथ भारत गिने चुने देशों की कतार में आ खड़ा हो गया. भारत से पहले अमेरिका और रूस भी मंगल के लिए यान भेज चुके हैं. 1960 में रूस ने पहली बार इसके लिए कोशिश की थी और आज अमेरिकी यान मंगल की सतह पर पहुंचकर लाल ग्रह के रहस्यों को बेपर्दा कर रहे हैं. लाल ग्रह के सैकड़ों-हजारों रहस्यों को जानने के लिए दुनिया बरसों से कोशिश करती आ रही है, जिसका इतिहास 1960 तक पीछे जाता है. जब रूस ने दुनिया के पहले मिशन मंगल का आगाज किया, जिसे नाम दिया गया कोराब्ल 4. हालांकि यह मिशन फेल हो गया.
– 1965 में अमेरिका के स्पेसक्राफ्ट मैरिनर 4 ने पहली बार मंगल की तस्वीर धरती पर भेजी और मंगल के लिए ये पहला सफल मिशन साबित हुआ.
– पहली बार 1971 में सोवियत संघ का ऑर्बाइटर लैंडर मार्स 3 यान मंगल पर उतरा.
– 1996 में अमेरिका ने मार्स ग्लोबल सर्वेयर स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया जो अपने रोबोटिक रोवर के साथ मंगल की सतह पर उतरा.
– 2004 में अमेरिका ने फिर अपने दो रोवरयान स्पिरिट और ऑपरच्यूनिटी को मंगल की सतह पर उतारा.
– 26 नवंबर 2011 में अमेरिका ने क्यूरियोसिटी रोवर को लॉन्च किया, जिसकी 6 अगस्त 2012 में मंगल की सतह पर सफल लैंडिंग हुई.
कैसा रहा मंगल तक मंगलयान का सफर?
मंगलयान ने 3 चरणों में मंगल की कक्षा में प्रवेश किया. पहले चरण में मंगलयान 4 हफ्ते तक धरती का चक्कर काटता रहा. इस दौरान मंगलयान धीरे-धीरे पृथ्वी की कक्षा से दूर होता गया और फिर मंगलयान के सातवें इंजन ने इसे मंगल की ओर धकेल दिया. दूसरे चरण में मंगलयान पृथ्वी की कक्षा से बाहर हो गया. तीसरे चरण में मंगलयान ने 21 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश किया.
यह है मकसद
इस मिशन से मंगल ग्रह के बारे में ढेरों जानकारियां हासिल होंगी. शायद हमें पता चल पाएगा कि क्या मंगल पर मीथेन गैस है, क्या इस ग्रह के गर्भ में खनिज छिपे हैं, क्या यहां बैक्टीरिया का भी वास है और क्या यहां जिंदगी की संभावनाएं भी हैं. अगर भारत का मार्स ऑर्बाइटर मिशन यानी मंगलयान अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब रहता है तो फिर अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक की दुनिया में हिंदुस्तान निश्चित रूप से एक नया मुकाम हासिल कर लेगा.