एक पीड़ित कई दलाल, खाकी हो रही माला माल

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kotvali farruफर्रुखाबाद: अखिलेश राज है कानून व्यवस्था पटरी पर है यह उनके ही हाकिमो का कहना है| पीड़ित को न्याय मिल रहा है यह कोई देखने वाला नही| थानों में केबल नोटों की भाषा जानी जा रही है| जनपद के थाने इस समय दलालों की शरण स्थाली बन हुए है| सुबह से शाम तक जमघट लगा रहना आम बात है| लेकिन जनता को न्याय दिलाने का नही बल्कि साहब की व अपनी जेबे गर्म करने का| गरीब बेचारा उसकी कौन सुने| मानवता अब बची ही कंहा है पीड़ित न्याय के लिए खाकी के पास जाने से भी घबरा रहा है| बेचारे को डॉ है की कही साहब की कडक आबाज उसकी जिन्दगी भर में कमाई गयी इज्जत ना उतर जाये| साहब सुनते नही और प्राईवेट पुलिस (दलाल) केबल पैसे वालो को कानून के पंजे से बचाने में लगे रहते है|
शहर कोतवाली अन्य थानों की अपेक्षा कुछ जादा ही दलालों की दलीलों पर चल रही है| दलाली का धंधा काफी ठीक ठाक भी है| इज्जत की इज्जत और दाम के दाम या यू कहिये आम के आम और गुठलियों के दाम| इसी के चलते शहर के काफी रसुक वाले भी कई लोग कोतवाली में अपना उपस्थिति दर्ज कराने में पीछे नही है| मजे की बात तो यह है की कभी कभी घटना स्थल से ही यह प्राईवेट पुलिस जुगत में जुट जाती है| कोतवाली आते आते तो पीड़ित या दबंग जिस पर भी पुलिस कार्यवाही करने जा रही है से अपना ताल मेल भिड़ा देते है| अगर असरदार है तो उसे चाय पानी पिलाकर छोड़ दिया और यदि कमजोर है तो उसे दबंग दरोगा की घुड़की सुननी पडती की साले अन्दर कर दूंगा| एक पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए कई कई दलाल लग जाते है|
मकान पर कब्ज़ा करना या हटवाना, पड़ोसी परेशान कर रहा, मोहल्ले के दबंग परेशान कर रहे, किसी पर तमंचा व नशीला पदार्थ लगवाना हो, पुलिस परेशान कर रही सभी समस्याओ का निदान कोतवाली में सक्रिय दलालों के पास है| कानो ही कानो में सौदे बजी कर के सभी समस्याओ का इतिश्री पाल में कर देते है| पीड़ित को ना माया मिली ना राम|
नाम ना छापने की शर्त पर एक पुलिस कर्मी ने बताया की चालान करने में क्या मिलता है उल्टा कोतवाली से कचेहरी तक ले जाना इसका खर्च जेब से करो| इसी लिए हम लोग खुद ही चाहते है की जादा मामले कोतवाली में ही निपटा दिये जाये| जिसके कई फायदे की एक तो अपराध रजिस्टर में अपराध कम पंजीकृत होते है और दूसरा खर्चा पानी भी मील जाता है तो क्या बुरा है| वह हंस कर बोला सब चलता है साहब ऊपर वाले भी तो लेते है|
बाद में पता चला कंही ना कंही वह बेचारा ठीक कह रहा था| अब जनता क्या करे किसके पास न्याय मांगने जाये खाकी व सादी के पास???|