तंबाकू उत्पादों पर कैंसर की चेतावनी न छापने को लेकर सिगरेट बनाने वाली कंपनियों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है.
सिगरेट बनाने वाली कंपनियों ने कहा है कि वे सरकार के उस निर्देश से असमंजस में है जिसमें उसने सिगरेट पैकटों पर मुँह के कैंसर की चेतावनी की तस्वीर छापने को कहा है.
इन कंपनियों का कहना है कि तस्वीर को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है इसलिए उन्होंने सिगरेट का उत्पादन बंद कर दिया है.
दरअसल मई में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन कंपनियों से कहा था कि वो पहली दिसंबर से बाज़ार में आने वाले अपने उत्पादों के पैकेटों पर मुंह के कैंसर होने की चेतावनी देने वाली तस्वीर को छापें.
इससे पहले ये कंपनियां चेतावनी के तौर पर अपने उत्पादों पर तंबाकू के सेवन से फेफड़ों पर पड़ने वाले प्रभाव की तस्वीर और एक बिच्छू का चित्र छापते थे.
इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना था कि ये काफ़ी नहीं है और इससे तंबाकू से होने वाले नुकसान का असर पूरा दिखाई नहीं देता है.
साथ ही आदेश में कहा गया था कि अगर पुरानी चेतावनी के साथ उत्पाद बाज़ार में आता है तो इसके लिए तंबाकू कंपनियों और विक्रेताओं को दंडित किया जाएगा.
कंपनियों की दलील
उधर कंपनियों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि वे चेतावनी के तौर पर कैसी तस्वीर को लगाए इसे लेकर भ्रम है.
भारत में तंबाकू के सेवन से हर साल दस लाख लोगों की मौत हो जाती है.
सिगरेट उत्पादन करने वाली दो कंपनियों आईटीसी और गॉडफ्रे फ़िलिप्स ने उत्पादन रोक दिया है.
इन कंपनियों का कहना है कि उन्होंने सिगरेट बनाने वाली अपनी इकाई को बंद कर दिया है क्योंकि अभी तक सिगरेट के डब्बों पर चेतावनी देने के लिए किस तरह की तस्वीर छपेगी ये स्पष्ट नहीं है.
इन कंपनियों को तंबाकू के पदार्थों सिगरेट,तंबाकू और गुटका के पैकटों पर ये नई चेतावनी एक दिसंबर से छापने को कहा गया था.
वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन कंपनियों की इस दलील को ख़ारिज करते हुए कहा है कि चेतावनी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तस्वीर पर कोई भ्रम नहीं है. सरकार ने इन कंपनियों से इसे तुरंत लागू करने का आदेश दिया है. इससे पहले भी ये कंपनिया सरकार की दी गई मियाद का उंल्लघन कर चुकी हैं.
भारत में तंबाकू के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए सरकार ने कई कड़े नियम लागू किए हैं. जिन देशों ने तंबाकू के प्रचार के लिए दिए गए विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया है उनमें से भारत भी एक है.
तंबाकू पदार्थों को अवयस्क लोगों को बेचने पर भी पाबंदी है और वो दंडनीय अपराध भी है.
वहीं भारत में कोई सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान भी नहीं कर सकता है. ये नियम पिछले दो साल से लागू हैं. लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि इन नियमों को सख़्ती से लागू भी नहीं किया जा सका हैं.