भोपाल: मध्य प्रदेश में पहली बार किसी दृष्टिहीन अधिकारी को किसी जिले की कमान सौंपी गई है। प्रदेश सरकार ने गुरुवार देर रात एक बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए प्रदेश के 24 जिलों के कलेक्टरों सहित 76 अधिकारियों की तबादले सूची जारी की है। इनमें उमरिया जिले की कमान कृष्ण गोपाल तिवारी को सौंपी गई है।
तिवारी दृष्टिहीन है और शायद प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी दृष्टिहीन को जिले की कमान सौंपी गई है। भोपाल में प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान तिवारी के लिए विशेष प्रकार के कम्प्यूटर और ब्रेल लिपि की किताबें उपलब्ध कराई गईं थीं। 2008 बैच के अधिकारी तिवारी इससे पहले होशंगाबाद में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत और पदेन अपर कलेक्टर (विकास) होशंगाबाद के रूप में तैनात थे।
कृष्ण गोपाल तिवारी ने 2008 में सिविल सर्विस की परीक्षा तीसरे अटेंप्ट में निकाली थी। तिवारी के पिता स्वामी नाथ तिवारी उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में किसान परिवार से हैं। 27 साल के गोपाल तिवारी ने देहरादून के लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी में ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद गोपाल ने मध्य प्रदेश कैडर में बतौर आईएएस ऑफिसर जॉइन किया था।
गोपाल को केवल नहीं देख पाने की ही समस्या नहीं थी बल्कि आर्थिक तंगी से भी वह बुरी तरह परेशान रहे हैं। लेकिन गोपाल के हौसले के सामने ये समस्याएं छोटी पड़ीं। इकनॉमिक्स से ग्रैजुएट गोपाल को सिविल सर्विस परीक्षा में 142वां रैंक हासिल हुआ था। शारीरिक रूप से विकलांग कैटिगरी में गोपाल टॉप आए थे। ऐसा नहीं है कि गोपाल को जन्म से ही नहीं दिखने की समस्या थी। बचपन में नहीं दिखने की समस्या बिल्कुल थोड़ी थी। लेकिन गरीबी के कारण इसका इलाज नहीं करा पाए। गोपाल को चश्मा से ज्यादा कुछ नहीं मिल पाया। सिविल सर्विस की परीक्षा देने के नौ साल पहले 25 पर्सेंट ही इनकी विजिबलिटी बची थी। गोपाल को परीक्षा में दूसरों से लिखवाने में मदद लेनी पड़ी थी।
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