धनबाद: झारखंड के धनबाद जिले के दो गांवों में शादी की बडी अनोखी रीति है। यहां पर अंधेरे में ही शादियां होती है। बारात से लेकर दुल्हन की विदाई भी रातोंरात होती है।इसकी जड में वह मान्यता है, जिसके अनुसार रात में शादी नहीं करने वाले पत्थर बन जाते हैं।
विजयदिह और धोकरादिह गांवों में गोप और कई अन्य जातियां के लोग निवासी हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर दिन में शादी की रस्म पूरी की जाएगी तो दुल्हा और दुल्हन पत्थर का रूप ले लेंगे। विजयदिह के निवासी बैजनाथ गोप ने बताया कि उनके यहां कई पीढियों से अंधेरे में ही शादी करने की रीति है।
वहीं, एक अन्य निवासी हरेंद्र प्रसाद महतो का कहना है कि 2010 में उनकी शादी भी इसी तरह हुई थी। हरेंद्र ने बताया, घर से मेरा ससुराल 16 किमी की दूरी पर है। शादी के बाद इतने दूर अंधेरे में पत्नी के साथ आना बहुत बडी चुनौती थी। हालांकि तय समय पर हमारी शादी हो गई और हम पत्थर बनने से बच गए। वहीं, दूसरी ओर, इस रीति को न मानने वाले लोग दूसरे गांव में जाकर शादी करते हैं।
इसलिए होती है दिन में शादी
गांव से कुछ दूरी पर ही बहुत सारे पत्थर मौजूद हैं। कहानियों के अनुसार, 200 साल पहले एक नवविवाहित अमीर दंपति अपने परिवार के साथ सुबह होने के बाद शादी से लौट रहे थे, कुछ कदम चलने के बाद ही दंपति के साथ आ रहे लोग और जानवर पत्थर में बदल गए। ग्रामीणों का मानना है कि कई बार उन पत्थरों को अपनी जगह बदलते देखा गया है। हालांकि भूवैज्ञानिकों का मानना है कि तेज हवाओं और मौसम में बदलाव की वजह से पत्थर की मौजूदा स्थिति में बदलाव होता है।