‘सरकारी खेल’ में बिना इस्तीफा हटे महाधिवक्ता

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V C MISHRAडेस्क: प्रदेश के इतिहास में संभवतया यह पहला मौका होगा जब किसी महाधिवक्ता को सरकार ने इस तरीके से पद से हटाया। सरकार और महाधिवक्ता के बीच तल्ख रिश्ते का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महाधिवक्ता से इस्तीफा लेने जैसे विकल्प को भी नजरअंदाज किया गया।

अब पर्दे के पीछे की बहुत सी बातें चर्चा का विषय बनी हुई हैं। महाधिवक्ता वीसी मिश्र की पद से मुक्ति इसलिए भी चर्चा का विषय बनी क्योंकि यूपी बार काउंसिल के कई बार अध्यक्ष व चर्चित अधिवक्ता होने के साथ मुलायम सिंह यादव से उनके संबंध बहुत अच्छे माने जाते हैं।

कभी सरकार ने ही किया था बचाव
जानकार बताते हैं कि जब मिश्र की नियुक्ति के समय हाईकोर्ट के एक जज को धमकी देने के पुराने मामले में मिश्र के प्रैक्टिस पर रोक के निर्णय को लेकर राजभवन ने सवाल खड़ा किया था।

तब सरकार ने इस मामले में सुप्रीमकोर्ट के एक फैसले को पेश करते हुए उनकी नियुक्ति का रास्ता बनाया था। बाद में कुछ लोगों ने कोर्ट-कचहरी का दरवाजा खटखटाया तो भी सरकार मजबूती से डटी रही।

पर, इन आठ महीनों में सरकार और महाधिवक्ता के बीच रिश्ते इतने तल्ख हो गए कि सरकार ने उनसे इस्तीफा लेना तक मुनासिब नहीं समझा और पदमुक्त कर दिया।

नहीं मिल रहे इन सवालों के जवाब
वीसी मिश्र के पहले एसपी गुप्त प्रदेश के महाधिवक्ता थे। गुप्त के कार्यकाल में कई मामलों में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब कर लिया गया था। न्यायालयों ने कई बार तल्ख टिप्पणियां की थीं।

सरकार की ओर से मुकदमों की लचर पैरवी पर सवाल उठाए जाने शुरू हो गए थे। कुछ दिन बाद पता चला कि व्यक्तिगत कारणों से गुप्त ने इस्तीफा दे दिया। अनौपचारिक रूप से बताया गया था कि स्वास्थ्य कारणों से वे खुद पद से हट गए हैं। मगर इस बार, इस तरह की भी भूमिका सामने नहीं आई।

न तो इस्तीफा हुआ और न ही हटाते वक्त कोई वजह बताई गई। ऐसे में बर्खास्तगी ने तमाम सवालों को जन्म दे दिया है। शायद यही वजह है कि ईद के ठीक एक दिन पहले मिश्र को हटाने का फैसला नौकरशाही से लेकर आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।

कई बार कराई सरकार की किरकिरी
एक अपर महाधिवक्ता ने सरकार से शिकायत की थी कि महाधिवक्ता ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी में कई ऐसी नियुक्तियां की जिसमें प्रक्रिया का पालन न कर अनियमितता की गई।

इसके अलावा शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति के बाद हटाने के कई फैसले से भी सरकार की किरकिरी हुई थी।

हटाने के तरीके से बहुत तकलीफ पहुंची
वीसी मिश्र का कहना है कि उन्हें हटाने के पीछे साजिश की गई। उन्होंने मुख्यमंत्री के एक भी आदेश की आज तक अवहेलना नहीं की।

सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को यदि कुछ गलत लगा था तो मुझे इशारा कर देते, इस्तीफा दे देता। हटाने की नौबत न आती। सपा मुखिया हमारे नेता हैं और हमेशा रहेंगे। पर, हटाए जाने के तरीके से बहुत तकलीफ पहुंची है।

एक भी गलत नियुक्ति नहीं की।
-वीसी मिश्र का कहना है कि एक भी गलत नियुक्ति नहीं की। 2004 से कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं हुई थी। बड़ी संख्या में पद खाली थे जिससे अदालतों में काउंटर दाखिल करना तक मुश्किल हो रहा था। ऐसे में कर्मचारियों को पदोन्नति दी और नियमों का पालन कर रिक्त पदों पर एडहॉक नियुक्तियां कीं। यदि एक भी नियुक्ति गलत साबित होगी, वकालत छोड़ दूंगा। कुछ अधिकारी इन नियुक्तियों के नाम पर पैसा खाना चाहते थे जिन्होंने गलत नियुक्ति का हल्ला मचाया।

-लोकसभा चुनाव में 42 जिले व छह तहसीलों की बार काउंसिल में अधिवक्ताओं के साथ बैठक की। इसके लिए चुनाव आयोग ने दो-दो नोटिस जारी किए। लेकिन इसकी परवाह किए बिना चुनाव भर दौड़ता रहा।

मुलायम ने पूछा, क्यों लिखी चिट्ठी?
-वीसी मिश्र ने कहा कि इलाहाबाद के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल को हटाना चाहता था। वह कांग्रेसी हैं और पूर्व महाधिवक्ता के साथी। अहम मुकदमे की भी जानकारी नहीं देते थे। इतना वक्त बीत गया लेकिन इलाहाबाद में अपनी टीम नहीं बना सका। इसके बावजूद जब से इस जिम्मेदारी पर आया था सरकार को कोई मुकदमा नहीं हारना पड़ा।

-28 जुलाई को मुलायम सिंह यादव ने बुलाया था। पांच बजे का समय तय था। जब पहुंचा मंत्रियों की मीटिंग खत्म हो चुकी थी। वहीं नेताजी ने एक सवाल किया कि 6-6 पन्ने की चिट्ठी क्यों लिखते हो? मैंने कोई चिट्ठी नहीं लिखी थी।

बताया तो कहा कि तुम्हारे पैड पर आई है।…लगता है कि किसी ने मेरे पैड पर नेताजी व मुख्यमंत्री के खिलाफ गलत बातें लिख दी। नेताजी ने भी मुझसे कुछ पूछा तक नहीं और निकाल दिया। इसी से लगता है मुझे हटाने की साजिश रची गई।

नए महाधिवक्ता की नियुक्ति जल्द
रदेश में नए महाधिवक्ता की नियुक्ति जल्द ही की जा सकती है। प्रदेश कैबिनेट इसके लिए मुख्यमंत्री को पहले ही अधिकृत कर चुकी है।

महाधिवक्ता के लिए जो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं उनमें वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा, वरिष्ठ अधिवक्ता आरबीएस यादव, सीबी यादव, अपर महाधिवक्ता जफरयाब जिलानी व पूर्व महाधिवक्ता एसएमए काजिमी शामिल हैं।

हालांकि इनमें से ही कोई होगा या अन्य, यह जल्द ही तय होने की संभावना है। हाईकोर्ट ने पिछली बार काफी समय तक महाधिवक्ता नियुक्त न किए जाने पर नाराजगी जताई थी।

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