फर्रुखाबाद: चुनावी साल में अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार ने ऐसे ऐसे सपने युवाओ को दिखाए जिनके पूरे होते से प्रदेश से बेरोजगारी, गरीबी और वैमनस्यता दूर हो ही जाएगी| मगर लोकसभा चुनाव में मोदी फैक्टर ने यूपी में सपने चूर चूर करवा दिए| एक एक कर जिन योजनाओ को मुख्यमंत्री की महत्वकांशी योजना बता कर ढिंढोरा पीटा गया वे सब बंदी की कगार पर पहुंच गयी| कन्या विद्या धन, हमारी बेटी उसका कल, मुफ्त लैपटॉप और टेबलेट, बेरोजगारी भत्ता और छात्रवृति के बाद एक और योजना का पता चला है जिसके लिए बजट में कोई प्राविधान ही नहीं किया गया| लोकसभा चुनाव से 6 महीने पहले यूपी के गाव गाव और नगर नगर में कंप्यूटर सेंटर पर कौशल विकास योजना के लिए जो फार्मो को भराने की भरमार चल रही थी चुनाव में केवल सपरिवार ही चुनाव जीत पाने के कारण इस योजना को भी ढेला बजट में आवंटित नहीं किया गया|
पूरे प्रदेश में कौशल विकास कार्यक्रम के तहत 3,05,,001 युवक युवतियों को मुफ्त में प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार देने के सब्जबाग़ दिखाए गए थे| इसके लिए बाकायदा जिलाधिकारी और मंडलायुक्तों को टारगेट दिए गए| मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना बताकर हार सप्ताह बैठके हुई और समीक्षा की जाने लगी| साइबर कैफो में भीड़ उमड़ने लगी| पूरे प्रदेश में 30 लाख से ज्यादा पंजीकरण हो गए| औसतन एक युवती ने फोटोकॉपी से लेकर पंजीकरण में 60 रुपये फूक दिए| लगभग 20 करोड़ रुपये बच्चो के खर्च हो गए| अगर कौशल विकास प्रशिक्षण नहीं हुआ तो इतने पैसे की बर्बादी की जिम्मेदार यूपी सरकार नहीं तो कौन होगी| गैर उत्पाकदता में 20 करोड़ फूक देना कौन सी होशियारी की बात कही जाएगी|
14 फरवरी 2014 को कौशल विकास पजीकरण की अंतिम तारीख थी| प्रदेश के युवक युवतियों ने जमकर पंजीकरण कराये| सरकार की वेबसाइट upsdm.org पर प्रशिक्षण देने के लिए प्राइवेट एजेंसियों को आमंत्रित भी किया गया| लगभग 15 हजार संस्थाओ ने इसके लिए आवेदन किया| कुछ एजेंसियों का चयन भी हो गया| मगर तभी आ गयी आचार संहिता का बहाना| सरकार ने घोषणा और तयारी तो पूरी की थी मगर प्रशिक्षण में खर्च के लिए बजट देना भूल गयी| [bannergarden id=”8″] [bannergarden id=”11″]