मैनपुरी: मिड डे मील में 19 करोड़ के घोटाले में फंसे आधा दर्जन अधिकारियों में तीन सीबीआइ के शिंकजे में नहीं आ रहे हैं। सीबीआइ इनकी गिरफ्तारी को संभावित स्थानों पर दबिश दे रही है। अब इन अफसरों के रिश्तेदारों व सगे-संबंधियों पर भी एजेंसी की निगाह है। कुछ लोगों के मोबाइल भी सर्विलांस पर लगा दिए गए हैं।
जिले में मिड डे मील की व्यवस्था गाजियाबाद की सर्च संस्था को वर्ष 2008 में दी गई थी। संस्था ने तीन वर्ष के दौरान जमकर घपलेबाजी की। संस्था सदस्यों के साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों ने भी जमकर पैसे का बंदरबांट किया। वर्ष 2011 में तत्कालीन जिलाधिकारी रणवीर प्रसाद ने सर्च संस्था पर शिंकजा कसा और जांच कराकर दो बीएसए, बीएसए दफ्तर के लिपिक विशुन दयाल व प्रशांत मिश्र, सर्च संस्था के निदेशक विवेक सुदर्शन आदि को नामजद कराया था। संस्था के निदेशक ने हाईकोर्ट की शरण ली। उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने का फरमान जारी कर दिया। सीबीआइ ने मैनपुरी में वर्ष 2008 से 2011 के मध्य मिड अधिकारियों से पूछताछ शुरू की। इसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश चंद्र शुक्ला, पूर्व डीएम सच्चिदानंद दुबे, सीडीओ जेबी सिंह, सीडीओ हृदय शंकर चतुर्वेदी और बीएसए केडीएन राम के अलावा जिला समन्वयक प्रशांत मिश्रा के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
इसके बाद सीबीआइ ने चार सौ से अधिक प्रधानाध्यापकों, आधा दर्जन एबीएसए तथा दो लिपिकों से भी पूछताछ की थी। सीबीआइ ने आधा दर्जन अधिकारियों पर आरोप पत्र दाखिल किया। जबकि सीबीआइ दूसरे आरोप पत्र में भी कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध भी चार्जशीट की तैयारी कर रही है।
तीन अधिकारी सीबीआइ की गिरफ्त से दूर
तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश चंद्र शुक्ला, तत्कालीन डीएम सच्चिदानंद दुबे और जिला समन्वयक प्रशांत मिश्रा को सीबीआइ जेल भेज चुकी है। रिटायर्ड आइएएस सच्चिदानंद दुबे को गत रविवार को ही सीबीआइ अदालत ने जेल भेजने के आदेश दिए। उन्हें शनिवार को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था। तत्कालीन सीडीओ जेबी सिंह, तत्कालीन सीडीओ हृदय शंकर चतुर्वेदी और बीएसए रहे केडीएन राम अभी सीबीआइ की गिरफ्त से दूर हैं।
साहब का था जलवा
वर्ष 2009-10 में सीडीओ रहे जेबी सिंह का जलवा राजा-महाराजाओं जैसा था। उनके कार्यालय से लेकर घर तक जिले के आला अधिकारियों, ठेकेदारों, नेताओं का जमावड़ा लगता था। तत्कालीन बसपा सरकार में उन्हें कई मंत्रियों का संरक्षण प्राप्त था। जिले में कौन सा काम किस ठेकेदार को मिलेगा, यह जेबी सिंह तय करते थे। जेबी सिंह के सबसे निकट अधिकारी बीएसए रहे केडीएन राम माने जाते थे।
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