नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दहेज कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। झूठे दहेज केस की बढ़ती संख्या को देखते हुए हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को हिदायत दी है कि दहेज उत्पीड़न के केस में आरोपी की गिरफ्तारी सिर्फ जरूरी होने पर ही हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी करते वक्त पुलिस को वजह बतानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने दहेज केस में पुलिस अधिकारी के पास तुरंत गिरफ्तारी की शक्ति को भ्रष्टाचार का बड़ा स्रोत माना है। कोर्ट के आदेश के बाद अब दहेज केस में किसी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को पहले केस डायरी में वजह दर्ज करनी होगी। जिनकी मजिस्ट्रेट समीक्षा करेंगे।
कोर्ट से सभी राज्य सरकारों को आदेश पर अमल करने को कहा है। कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई और अदालत की अवमानना की कार्रवाई संभव है। अब आपको सुनाते हैं कि अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने क्या लिखा है- पिछले कुछ सालों में दहेज विरोधी कानून के नाम पर परेशान करने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सच ये है कि अनुच्छेद 498A संज्ञेय और गैरजमानती अपराध है। जिसका इस्तेमाल सुरक्षा की जगह नाराज पत्नियों द्वारा हथियार की तरह किया जा रहा है। इस कानून के तहत पति और उनके रिश्तेदारों की गिरफ्तारी परेशान करने का सबसे सरल तरीका है। कई मामलों में तो पतियों के दादा-दादी और दशकों से विदेश में रह रहीं उनकी बहनों की भी गिरफ्तारी देखी गई है।
दो सदस्यीय बेंच ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का हवाला देते हुए लिखा है कि अनुच्छेद 498 A के तहत 2012 में करीब 2 लाख लोगों की गिरफ्तारी हुई जो कि 2011 के मुकाबले 9.4 फीसदी ज्यादा है। 2012 में जितनी गिरफ्तारी हुई उनमें से लगभग एक चौथाई महिलाएं थीं। अनुच्छेद 498 A में चार्जशीट की दर 93.6 फीसदी है जबकि सजा की दर 15 फीसदी है जो काफी कम है। फिलहाल 3 लाख 72 हजार 706 केस की सुनवाई चल रही है, लगभग 3 लाख 17 हजार मुकदमों में आरोपियों की रिहाई की संभावना है। इन आंकड़ों को देखते हुए लगता है कि इस कानून का इस्तेमाल पति और उनके रिश्तेदारों को परेशान करने के लिए हथियार के तौर पर किया जा रहा है।
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