नई दिल्ली:PSLV-C-23 की उड़ान के साथ भारत ने कैसे अंतरिक्ष की दुनिया में नया मुकाम हासिल किया है। इसके साथ ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रच दिया है। प्रक्षेपण यान पीएसएलवी की खासियत क्या है। पढ़ें-
इसरो में विकसित प्रक्षेपण यान पीएसएलवी अब तक 65 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजने में कामयाब रहा है। इनमें से 30 भारतीय और 35 विदेशी उपग्रह थे। इससे पहले चंद्रयान-1 और मार्स ऑर्बिटर को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित कर पीएसएलवी ने खासी चर्चा बटोरी थी। इसे इसरो का सबसे कामयाब लॉन्च वेहिकल माना जाता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक इसरो 2000 किलोग्राम के उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के मामले में आत्मनिर्भर होने की कगार पर है। इतने भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की क्षमता गिने-चुने देशों के पास है, ऐसे में आने वाले वक्त में कुछ और विदेशी मुल्क भारत के लॉन्चिंग वेहिकल का इस्तेमाल करें तो हैरानी नहीं होगी।
आज PSLV-C-23 के साथ उड़ान भरने वाले 5 विदेशी उपग्रहों में सबसे अहम है फ्रांस का उपग्रह SPOT-7। इस उपग्रह को धरनी की निगरानी के लिए तैयार किया गया है। जर्मनी के उपग्रह AISAT का इस्तेमाल हाई ट्रैफिक जोन में सिग्नल सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा।
कनाडा के 2 छोटे उपग्रहों NLS7.1 और NLS7.2 का इस्तेमाल सब-अर्बन एरिया में जीपीएस सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा। सिंगापुर के उपग्रह VELOX-1 को इमेज सेंसर के तौर पर डिजायन किया गया है। विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से भारत में भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा आ रही है।