नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के सभी मंत्रियों को अपनी संपत्ति, देनदारी व किसी प्रकार के व्यावसायिक हित का ब्यौरा दो महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपना होगा। इन मंत्रियों से एक तरह से किसी भी प्रकार के व्यवसाय से अपने को दूर रखने को कहा गया है। उन्हें कहा गया है कि जो मंत्री सरकार में अपनी नियुक्ति होने से पहले किसी कारोबार के प्रबंधन या परिचालन से जुड़े थे तो उससे सभी तरह के संबंध समाप्त कर लें।
ये सब निर्देश गृह मंत्रालय द्वारा मंत्रियों के लिए जारी आचार संहिता में उल्लेखित हैं। मंत्रालय ने नई सरकार के आने के बाद आचार संहिता फिर से जारी की है। इस संहिता के अनुपालन की निगरानी प्रधानमंत्री करेंगे। इसमें मंत्रियों से कहा गया है कि वे प्रशासनिक आधिकारियों की राजनीतिक निष्पक्षता बनाए रखें तथा किसी अधिकारी को ऐसा काम करने को न कहें जो उनके दायित्वों व जिम्मेदारियों के प्रतिकूल हो।
इसमें मंत्रियों से यह भी कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके पारिवारिक सदस्य न तो कोई ऐसा कारोबार करें न ही उसमें भागीदारी करें जो कि सरकार को सेवाओं या सामान की आपूर्ति करने वाला हो। इसी तरह मंत्रियों के पति या पत्नी अथवा आश्रित को किसी दूसरे देश के मिशन में नौकरी पर पूरी तरह से रोक होगी। मंत्री द्वारा दिए जाने वाले ब्योरे में अचल संपत्तियों की सारी जानकारी शामिल होगी, जिनमें उनकी खुद की तथा पारिवारिक सदस्यों के शेयरों व डिबेंचरों का कुल मूल्य, नकदी व आभूषण आदि शामिल है।
आचार संहिता के अनुसार मंत्रियों के किसी भी तरह के व्यवसाय को शुरू करने या उसमें शामिल होने पर रोक रहेगी। साथ ही यह भी सुनिश्चत किया जाएगा कि मंत्री के परिवार का कोई सदस्य भी ऐसे व्यवसाय में शामिल न हो जिसका संबंध सरकारी खरीद से हो। अगर उसके परिवार का कोई सदस्य किसी व्यवसाय में शामिल होता है तो उसे पहले प्रधानमंत्री को इस बारे में बताना होगा। मंत्री या उसके परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी उद्देश्य से राजनीतिक या परमार्थिक सहयोग किसी से भी स्वीकार नहीं करेगा। मंत्री को फंड एकत्र करने की गतिविधियों से खुद को दूर रखना होगा।