प्रमुख टेलेकॉम कंपनी वोडाफोन ने स्वीकार किया कि सरकारी एजेंसियों उसके नेटवर्क पर होने वाली बातचीत (कॉल्स, टेक्स मैसेज और ईमेल) बिना वारंट के सुनती हैं|
सीक्रेट वायर के जरिए फोन होते हैं टैप
कंपनी ने इन सरकारी एजेंसियों को ऐसे सीक्रेट वॉयर लगाने की मंजूरी दी जिससे नेटवर्क पर होने वाली बातचीत को सुना जा सके. कंपनी का कहना है कि लगभग 29 देशों में उसके नेटवर्क पर होने वाली बातचीत सुनी (टैप की) जाती है. वोडाफोन ने 20 पेज की एक रिपोर्ट में सरकारी एजेंसियों के साथ अपने ‘को-ऑपरेशन’ का खुलासा किया है.
टेलेकॉम कंपनियों के सामने कोई ऑप्शन नहीं
एजेंसियां इन तारों (वायर) के जरिए बातचीत कर रहे व्यक्ति की जगह भी पता सकती हैं. कंपनी ने माना है कि ग्लोबल कंपनी के रूप में वह विभिन्न देशों के कानूनों को लागू करते तथा सरकारी एक्सपेक्टेशन्स को पूरा करते हुए लगातार टेंशन का सामना करती है. वोडाफोन के मुताबिक किसी भी देश के कानूनों के मानने से इनकार करना कोई ऑप्शन नहीं होता है. कंपनी ने कहा है कि गवर्मेंट सर्विलांस सिस्टम को लेकर जारी बहस में अपने योगदान के रूप में वह इस मामले का खुलासा कर रही है.
वोडाफोन का कदम बहादुरी भरा
कंपनी का कहना है कि सरकारों का अपने देश के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी और राइट टू प्राइवेसी कीके बीच बैलेंस की जरूरत है. और इस मुद्दे पर इस समय दुनिया में बहस हो रही है. वहीं राइट टू प्राइवेसी के लिए काम कर रहे एक्टिविस्ट्स का कहना है कि वोडाफोन का यह खुलासा उनके सबसे बड़े डर को सच साबित करता है. प्राइवेसी इंटरनेशनल के डेप्युटी डाइरेक्टर गुस होसेन ने कहा कि हमें इसी बात का डर सता रहा था. हालांकि उन्होंने वोडाफोन द्वारा इस सनसनीखेज इंफॉर्मेशन स्वीकार करने को बहादुरी वाला कदम बताया|
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