डेस्क: सीएम अखिलेश यादव ने चुनावी लाभ के लिए लैपटॉप तो जमकर बांट दिए, पर इंटर कॉलेजों में मुफ्त कम्प्यूटर एजुकेशन देने में नाकाम हो गए हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद के राजकीय और सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में केंद्र सरकार के सहयोग से छात्रों को मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए शुरू की गई इंफॉर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) योजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
पहले चरण में शुरू की गई 1500 स्कूलों में इस योजना को माह के अंत में बंद करने का आदेश दे दिया गया है। इसके चलते इन स्कूलों में कार्यरत 1500 कंप्यूटर अनुदेशकों का भविष्य अधर में फंस गया है।
2009 में शुरू हुई थी योजना
केंद्र सरकार की सहायता से प्रदेश में वर्ष 2009 में इंटर कॉलेजों में पढ़ने वाले कक्षा 6 से 12 तक छात्र-छात्राओं को कंप्यूटर की मुफ्त शिक्षा देने के लिए आईसीटी योजना शुरू की गई। प्रदेश में पहले चरण में 1500 स्कूलों को लिया गया। दूसरे चरण में वर्ष 2011 में 2500 स्कूलों को लिया गया। यह योजना पांच साल के लिए शुरू की गई है, इसलिए पहले चरण के पांच साल पूरे होने पर 1500 स्कूलों में यह योजना समाप्त हो रही है। इस संबंध में जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश भेज दिया गया है।
फैसले का होने लगा विरोध
माध्यमिक शिक्षा परिषद के प्रदेशीय मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा ने इसका विरोध करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मांग की है कि छात्रों के हित में इन सभी 1500 स्कूलों में जुलाई से कंप्यूटर शिक्षा की पुन: व्यवस्था कराई जाए। साथ ही शिक्षा विभाग की ढुलमुल नीति के चलते आईसीटी योजना से वंचित प्रदेश के 1600 राजकीय व सहायता प्राप्त स्कूलों में भी इसे शुरू कराया जाए।
उन्होंने बताया कि 2009 में केंद्र के सहयोग इस योजना को शुरू किया गया है। इसमें 75 प्रतिशत केंद्र और 25 प्रतिशत राज्य सरकार खर्च करती है। इस योजना में प्रत्येक स्कूल में 10 कंप्यूटर, एक सर्वर, एक जेनेरेटर, जरूरी फर्नीचर, बिजली, इंटरनेट आदि की व्यवस्था की गई है।
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