व्यापारी हुए लामबंद, आवास विकास में अतिक्रमण हटाने की शुरुआत लोहिया काम्प्लेक्स से हो

Uncategorized

AWAS VIKASफर्रुखाबाद: नए जिलाधिकारी एन के एस के निर्देश पर आवास विकास में अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया पर तीसरे दिन ब्रेक लग गया| पहले दिन खोखा हटाने और नाली के बाहर सड़क पर किया अतिक्रमण हटाये जाने के बाद अब सड़क या सरकारी जमीन पर बढ़े हुए निर्माण/अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई है| तीसरे दिन जेसीबी मशीन और कर्मचारियों के साथ अतिक्रमण हटाने पहुंचे नगर मजिस्ट्रेट को व्यापारियों का विरोध झेलना पड़ा| दरअसल में व्यापारी अतिक्रमण तोड़ने के पक्ष में तो है मगर उनकी मांग है कि एक तरफ से सभी अतिक्रमण हटाये जाए| बीच बीच में किसी का बोर्ड उखाड़ना, किसी की नाली के ऊपर बानी पाटिया तोडना न्याय प्रद नहीं है| अंत में आवास विकास में घुसते ही मोड़ पर बना लोहिया काम्प्लेक्स जिसमे अब स्वागतम गेस्ट हाउस चलता है पर अतिक्रमण के निशान लगा दिए गए| इसी के साथ आवास विकास का मकान नंबर एक जो कि पूर्व विधायक सुशील शाक्य का निवास है के बाहर बने लान का अतिक्रमण हटाने के लिए भी निशान लगा दिए गए| सभी अतिक्रमण करने वालो को नगर मजिस्ट्रेट के आदेश पर नगरपालिका के सहायक अभियंता 24 घंटे में अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस जारी करेंगे| इस दौरान व्यापारियों और अधिकारियो में जमकर नोकझोक और तू तू मै मै भी हुई|

आवास विकास में गत दिनों सड़क किनारे के खोखा और खोमचा के साथ साथ भाजपा जिलाध्यक्ष सत्यपाल सिंह के पुत्र पल्लव सोमवंशी के क्लीनिक के बाहर का अतिक्रमण हटा दिया गया था| उस पर जेसीबी चली थी| इसके बाद डॉ जितेंद्र सिंह ने अपने नर्सिंग होम के बाहर बनी रेलिंग खुद ही हटवा दी थी| अतिक्रमण हटाने के लिए तीसरे दिन एक बार फिर से जेसीबी पहुंची तो फिर से व्यापारियों की भीड़ जमा हो गयी| व्यापारी नेता विजय कटियार ने कहा कि गरीबो के साथ अन्याय नहीं होने दिया जायेगा| गरीबो का अतिक्रमण हटा है तो अमीरो का भी हटेगा| न्याय दिलाने के लिए वे अंत तक लड़ाई लड़ेंगे|

नगर मजिस्ट्रेट ने डॉ भल्ला के नर्सिंग होम के बाहर अतिक्रमण में रखे जरनेटर और उस के सहारे बनी दीवार को हटाने के लिए कहा| दीवार जे सी बी से गिरा दी गयी और जरनेटर को शिफ्ट करने के लिए कहा गया| जरनेटर नाली को पात कर उस पर रखा गया है| इसी के साथ डॉ भल्ला के पड़ोस में शंकर मेडिकल के बोर्ड सड़क से हटाने के लिए कहा| इसी बीच व्यापारी विजय कटियार, अजय कटियार, पिंकू राठौर, आशु मिश्रा आदि व्यापारी आ गए और अतिक्रमण हटाने में भेदभाव का आरोप नगर मजिस्ट्रेट पर लगाया और काम रुकवा दिया| विजय कटियार ने फोन कर व्यापार मंडल के प्रदेश मंत्री अरुण प्रकाश तिवारी और जिलाध्यक्ष संजीव मिश्रा को भी बुलवा लिया| व्यापारियों के साथ अतिक्रमण हटाने में बेरोजगार हुए खोखा और ठेले वाले भी साथ हो लिए| इन लोगो ने तहसीलदार सदर राजेंद्र चौधरी के साथ वार्ता शुरू की जो गरमा गर्मी में तब्दील हो गयी| बीच बीच में नगरपालिका के कर्मचारी और अधिकारी खिसक गए|

व्यापारियों ने मांग रखी कि वे अतिक्रमण हटाने के खिलाफ नहीं है| वे भी चाहते है कि अतिक्रमण हटाया जाए मगर किसी के साथ भेदभाव न हो और न ही किसी को ये महसूस हो कि दुर्भावना है| अतिक्रमण आवास विकास में प्रवेश करते ही पहली बिल्डिंग से शुरू होता है वहां से हटाना शुरू करे और आगे बढ़े| तहसीलदार सदर और नगर मजिस्ट्रेट इस बात पर सहमत हो गए और मशीन और दलबल सहित आवास विकास तिराहे पर बने लोहिया काम्प्लेक्स में पहुंचे| यहाँ उन्होंने लोहिया काम्प्लेक्स के मालिक मनोज गंगवार को बुलवाया जो कि मौके पर न होने के कारण नहीं आ सके उनकी जगह लोहिया काम्प्लेक्स के दुकानदार निर्भय सिंह कटियार तहसीलदार से बात करने पहुंचे| निर्भय सिंह से तहसीलदार ने 24 घंटे में अतिक्रमण हटाने के लिए कहा| इसी बीच नगरपालिका के सहायक अभियंता ने निशान लगाकर अतिक्रमण चिन्हित कर दिया| पूर्व विधायक सुशील शाक्य के मकान के बाहर बगीचा भी चिन्हित कर दिया गया|

पूर्व विधायक सुशील शाक्य ने बताया कि उन्होंने कोई भवन आदि नहीं बनाया है| पेड़ पौधे हरियाली के लिए लगाये है जिनकी सुरक्षा के लिए जाली लगवा दी थी| उन्हें इसे हटवाने में भी कोई दिक्कत नहीं है| नगर मजिस्ट्रेट ने बताया कि अतिक्रमण हटाने का काम कल भी चलेगा| आज पुलिस फ़ोर्स कम होने के कारण काम रुक गया था| उन्होंने बताया कि मांगे जाने के बाबजूद उन्हें प्रयाप्त पुलिस बल नहीं मिला|

आवास विकास के लोहिया काम्प्लेक्स में कितना है अतिक्रमण-
आवास विकास में प्रवेश करते ही सबसे पहले लोहिया काम्प्लेक्स नाम का शॉपिंग मार्किट बनाया गया था| इसे आवास विकास ने बेचा था| नाम न छापने की शर्त पर आवास विकास परिषद के एक कर्मी ने बताया कि लोहिया काम्प्लेक्स के पास हुए नक़्शे के हिसाब से खरीदी गयी जमीन पर काम्प्लेक्स के चारो ओर 6 मीटर यानि 20 फ़ीट का पार्किंग काम्प्लेक्स बनाने वाले को छोड़ना था| जो सबसे पहले कई मंजिला दुकाने बनाते समय बनाते समय छोड़ा भी गया था| इसके बाद काम्प्लेक्स में बनी दुकाने दुकानदारो को बेचीं गयी| दुकाने न चलने के कारण कई दुकानदार दुकान वापस बेच कर या छोड़ कर चले गए| इसके बाद इस काम्प्लेक्स में बनी दुकाने किराये पर उठायी गयी और वर्तमान में चल रहा स्वागत गेस्ट हाउस बना| काम्प्लेक्स के बाहर बना ऊपर जाने का जीना, उत्तर में बने कमरे और मंदिर आवास विकास द्वारा पास किये नक़्शे से अतिरिक्त बनाये गए| इसमें मंदिर और ऊपर जाने का बना जीना सड़क की सरकारी जमीन के कुछ हिस्से पर बन गया| इसके बाद एक जरनेटर भी तिराहे पर व्यस्ततम वाली सड़क की जगह पर जमा दिया गया| मैन रोड की तरफ सड़क के किनारे बना मेडिकल स्टोर और कैंटीन गैर मानक और बगैर नक्शा पास किये हुए बनाया गया| चूँकि आवास विकास ने यह जमीन शॉपिंग काम्प्लेक्स के नाम से प्लाटिंग में तैयार की और उसी के लिए बेचीं लिहाजा मानक में परिवर्तन करना संभव ही नहीं है| और मानक के अनुसार शॉपिंग काम्प्लेक्स के चारो ओर पार्किंग छोड़ना नियम में आता है| उसी पार्किंग पर बाद में निर्माण हो गया जिसे समय रहते नहीं रोका गया जो अब नासूर बन गया है| कुल मिलाकर आवास विकास में कीमती जमीन खरीद कर व्यापार करने के लिए आये व्यापारी इस बात पर सहमत है कि अतिक्रमण जरूर हटाया जाए मगर शुरुआत एक किनारे से हो| नगर मजिस्ट्रेट और तहसीलदार सदर से व्यापारी नेता विजय कटियार, अजय कटियार, संजीव मिश्रा बॉबी, आशु मिश्रा, पिंकू और जिले के वरिष्ठ व्यापारी नेता अरुण प्रकाश तिवारी के साथ हुई वार्ता में इस बात पर सहमति हो गयी है कि अतिक्रमण हटाने में किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा|
Lohia Complex
आवास विकास में नक्शा पास कराने के बाद बनाये गए निर्माण 90 फ़ीसदी गैर मानक के बनाये गए| एक अतिक्रमण के बाद दूसरे ने किया| 90 फ़ीसदी लोगो ने सड़क पर छज्जा निकला| नक़्शे के हिसाब से रिहायशी भवन में 8 -10 फ़ीट की लान (ओपन स्पेस) को पाट कर दुकाने बना ली| सुशील शाक्य के मकान से लेकर लोहिया मूर्ति के तिराहे तक बनी दुकाने रिहायशी मकानो में अवैध रूप से बनी हुई है| इसी के साथ लोहिया अःपताल के बाहर बना आधा बाजार और कई क्लीनिक और नर्सिंग होम रिहायशी भवनो में अवैध रूप से बनाये गए है| आवास विकास के अधिकारी इस अतिक्रमण पर अपनी आँखे मूदे देखते रहे या फिर कुछ जेबे गरम करते रहे| इन अवैध होते निर्माण और अतिक्रमण पर कभी कोई शिकायते भी हुई तो वे शिकायते भ्रष्टाचारकी मलाई चाटने के लिए हो गयी| बाबुओं के माध्यम से अधिकारियो ने खूब जेबे भरी और चलते बने| धीरे धीरे पाश कॉलोनी का नाश कॉलोनी में तब्दील होना लाजमी था| अगर नक़्शे या आवास विकास के मानक के हिसाब से जिलाधिकारी जरा भी फीता चला दे तो एक बार फिर से कॉलोनी की सुंदरता लौट सकती है| लेकिन ऐसा होना अभी शायद संभव न हो पाये क्योंकि अच्छे दिन अभी यूपी में ………

[bannergarden id=”8″] [bannergarden id=”11″]