लखनऊ: भारतीय निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के महाधिवक्ता वीसी मिश्र को चुनाव आचार संहिता उल्लंघन की एक और नोटिस भेजी है, जिसमें सरकारी दौरे पर जाते हुए पार्टी विशेष के पक्ष में प्रचार करने का स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके जवाब में महाधिवक्ता ने आयोग को पत्र लिखकर अपने भाषणों की सीडी मांगी और कहा है कि सीडी प्राप्त होने की तारीख से स्पष्टीकरण देने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया जाए। श्री मिश्र फर्रुखाबाद में भी आये थे और बार एशोसियेशन के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में भाग लिया था जिसमे कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त सतीश दीक्षित और सपा प्रत्याशी रामेश्वर सिंह यादव के पुत्र सुबोध यादव भी मंच पर साथ में बैठे थे|
मालूम हो कि इससे पहले आयोग ने 16 अप्रैल को महाधिवक्ता को नोटिस दी थी जिसका जवाब दाखिल होने के बावजूद आयोग ने अपने निर्णय की जानकारी महाधिवक्ता को नहीं दी है। बांदा, महोबा व मुरादाबाद के जिलाधिकारियों की रिपोर्ट पर आयोग द्वारा जारी इस नोटिस पर महाधिवक्ता वीसी मिश्र ने चुनाव आयोग पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उन्होंने जो भी बैठकें की हैं, वह राज्य सरकार द्वारा गठित इम्पावर्ड कमेटी के चेयरमैन की हैसियत से की है। अभी तक 45 जिलों में वकीलों के साथ बैठक कर सरकारी वकीलों को मुकदमों को त्वरित निस्तारण व इनके दाखिले कम करने की दिशा में ठोस पहल करने पर विचार किया गया है। किसी भी सभा में पार्टी विशेष के लिए वोट नहीं मांगा गया। हालांकि वकीलों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए करोड़ों रुपये की व्यवस्था करने वाले मुलायम सिंह यादव की पहल की सराहना अवश्य की है।
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आयोग ने अपनी नोटिस में कहा है कि महाधिवक्ता ने सरकारी दौरे पर चुनावी कार्य किया है। क्यों न उनके दौरों को चुनावी व सरकारी दौरे का सम्मिश्रण करार देते हुए दौरे को व्यक्तिगत दौरा मान खर्च को उनसे वसूला जाए। मिश्र ने आयोग की नोटिस को भाजपा को खुश करने वाली बताया और कहा कि अपनी बैठकों में कोई राजनीतिक बयान नहीं दिए। दौरे पर गए होने के कारण वहां की बार एसोसिएशन ने महाधिवक्ता व पूर्व वीसीआइ चेयरमैन होने के कारण स्वागत किया। बार की बैठकों में भी केवल मुलायम सिंह यादव के अधिवक्ता हित के कार्यो की सराहना की और कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने अधिवक्ता कल्याण कोष में योगदान नहीं दिया।