फर्रुखाबाद : गरीव की थाली में साही पुलाव आ गया लगता है शहर में चुनाव आ गया | यह कहावत इन दिनों सत्य साबित हो रही है | सड़क छाप लोगो के दिन फिर गये है | उनके दरवाजे पर कोई ना कोई खीसे नपोरे खड़ा हो जा रहा है | उन्ही टूटी सडको , बिजली , महगाई के मुद्दों के साथ | बीते 65 साल में नेताओ ने जनपद के लोगो का विश्वास तो छला ही साथ ही साथ किसी भी गम्भीर मुद्दे पर संसद में कभी आवाज तक नही उठायी | जनपद के गरीब तबके का नौनिहालों गर्त में है | जगह जगह दुकानों पर लोगो के जूठे बर्तन को धो कर अपना पेट पालना इनकी मज़बूरी है | श्रम विभाग के पन्नो में जनपद में लगभग ही कोई मासूम बाल श्रमिक काम कर रहा हो | लेकिन यह बिलकुल सत्य है की शहर के रेलवे रोड , बस अड्डे , चौक के पास जो ढावे है उन पर मासूमो का जीवन गन्दी आदतों और नशीले वस्तुओ के सेवन में बीत रहा है | क्या इनके लिए सरकारे जिम्मेदार नही क्या इन सरकारों और उनके कारिंदों का कोई फर्ज नही है |
इस समय गर्मी के साथ साथ चुनावी माहौल भी गर्म है इस समर में नेताओ ने विकास कराने के बादे का पिटारा खोल रखा है | लेकिन इस तस्वीर को गौर से देखिये यह श्रम संविदा वोर्ड के अध्यक्ष (कैविनेट मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार )सतीश और केन्द्रीय विदेश मंत्री सलमान के जिले के मासूम की है | जो आज तक अपना बजूद ही खोज रहा है | मासूम को क्या मोदी चाहिए या फिर केजरीवाल या राहुल की सरकार ?? |
मासूम लाल दरवाजे पर होटलों में गंदे बर्तन धोकर अपनी जिन्दगी की किताब के पन्नो को पलट रहा है | मासूम ने अभी तक स्कूल का मुह नही देखा कभी अपने हाथो में कलम नही पकड़ी | लेकिन लोगो ने उसे कलम की जगह नन्ही उंगलियों में सिगरेट पकड़ा दी | बच्चा अब नशे की लत का शिकार हो गया है | स्थानीय धावा व होटल बाले इस का फायदा उठाते है एक सिगरेट की खातिर मासूम को घंटो लोगो की जूठन धोनी पड़ती है |
इस जैसे ना जाने कितने मासूम जनपद में जगह जगह अपना भविष्य जूठे बर्तनों में तलाश कर रहे है | कौन इन्हे इस गर्त से निकाले गा यह बड़ा सवाल है | कोई भी नेता इनके इस मुद्दे पर नही बोल रहा |प्रशासन ने तो कभी कोई उचित कदम ही नही उठाया | चुनाव आया है चुनाव चला जायेगा और इसके साथ ही खो जायेगे उनके बादे फिर इन मासूमो की आवाज कौन उठाएगा यह एक बड़ा सवाल है और जो एक नही हजार प्रश्न छोड़ जाएगा ??????????