(संजय शर्मा)- अपनी करतूतों से न सिर्फ पुलिस महकमे बल्कि पूरी सरकार को परेशानी में डालने वाले कानपुर के पूर्व एसएसपी यशस्वी यादव सपा विधायक इरफान सोलंकी की इतनी मिजाजपुरसी में लग गये थे कि उन्होंने अपने ही सुरक्षाबल को गालियां देना शुरू कर दी थीं। बदले में सुरक्षाबल भी कप्तान साहब को सबक सिखाने के मूड में आ गया था। किसी तरह मामला रफा-दफा किया गया। इस पूरे वाक्ये से गृह मंत्रालय को भी अवगत करा दिया गया है। आने वाले दिनों में कानपुर कांड यशस्वी यादव के कैरियर पर एक बदनुमा दाग साबित हो सकता है।
कानपुर में चिकित्सकों एवं विधायक इरफान सोलंकी के बीच हुई मारपीट का मामला इतना तूल नहीं पकड़ता अगर विधायक इरफान सोलंकी के चोट लगने के बाद एसएसपी यशस्वी यादव इतना बौखलाकर खुद डॉक्टरों पर हमला नहीं करवाते। एसएसपी साहब का सपा कार्यकर्ताओं की तरह व्यवहार करना न सिर्फ चिकित्सकों को बल्कि कानपुर वासियों को बुरी तरह अखर गया था। यही कारण रहा कि इस घटना ने पूरे देश में डॉक्टरों को उद्वेलित कर दिया था।
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कानपुर से मिली जानकारी के मुताबिक जब एसएसपी यशस्वी यादव को पता चला कि डॉक्टरों से मारपीट के कारण विधायक इरफान सोलंकी के सिर पर चोट लग गयी है तो एसएसपी साहब अपना आपा खो बैठे। इन परिस्थितियों में आम तौर पर एसएसपी पर्याप्त सुरक्षाबल को ही भेजते हैं और स्थिति के बहुत बिगड़ जाने पर ही मौके पर जाते हैं। मगर मामला सपा विधायक से जुड़ा था लिहाजा एसएसपी साहब को लगा अगर वह खुद मौके पर जाकर डॉक्टरों का ठीक से इंतजाम कर देंगे तो उनके नंबर सपा में और बढ़ जायेंगे। इसी उत्साह में वह कुछ ज्यादा ही बेचैन हो गये।
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घटना की सूचना मिलने पर एसएसपी यशस्वी यादव स्वरूप नगर थाने पर पहुंचे और वहीं पर उन्होंने बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों के अलावा रैपिड एक्शन फोर्स को भी बुला लिया और खुद सारी फोर्स को लेकर डॉक्टरों के हॉस्टल तक पहुंच गये। वहां पहुंचकर श्री यादव ने आरएएफ को आदेशित किया कि हॉस्टल में घुसकर डॉक्टरों के ऊपर लाठी चार्ज किया जाये। आरएएफ केंद्र सरकार के अधीन होती है लिहाजा उनके कंपनी कमांडर अतर सिंह चौहान ने एसएसपी से कहा कि वह इस लाठीचार्ज की लिखित अनुमति दे दें। इस पर यशस्वी यादव ने कहा कि कोई अनुमति नहीं सीधे लाठीचार्ज करो। कंपनी कमांडर श्री चौहान ने कहा कि उनके पास एक फार्म है उसी पर किसी मजिस्ट्रेट से हस्ताक्षर करा दीजिए। कम्पनी कमांडर के ऐसा कहते ही एसएसपी यशस्वी यादव आग बबूला हो गये और उन्होंने कंपनी कमांडर श्री चौहान को गालियां बकना शुरू कर दीं। आरएएफ के लोग सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि कोई आईपीएस इस तरह का भी व्यवहार कर सकता है। उन्होंने यशस्वी यादव को समझाने की कोशिश करी मगर वह समाजवादी पार्टी के प्रति अपनी निष्ठi जाहिर करने को इतना बेताब थे कि उन्होंने गालियां बकना जारी रखा। इस पर आरएएफ के कुछ लोग भी उद्वेलित हो गये और अपने कंपनी कमांडर से कहा कि अभी इन एसएसपी साहब को गालियां बकने का मतलब समझा देते हैं। हालात की नजाकत को देखते हुए किसी तरह कंपनी कमांडर ने मामले को संभाला। बाद में इस पूरे मामले की शिकायत पुलिस महानिदेशक और गृह मंत्रालय से भी की गयी। अगर कंपनी कमांडर वहां सूझबूझ से काम नहीं लेते तो एक बड़ा हादसा हो सकता था।
यशस्वी यादव का यह कोई पहला कारनामा नहीं है। महाराष्टï्र कैडर के इस आईपीएस ने महाराष्टï्र में भी कुछ कम गुल नहीं खिलाये हैं। कोल्हापुर पुलिस प्रशिक्षण कैंप में एक सेक्स स्कैंडल में उनकी नौकरी जाते-जाते बची थी। इस प्रशिक्षण स्कूल में हुए कांड में एक अविवाहित प्रशिक्षु गर्भवती पायी गयी थी। इस मामले ने पूरे महाराष्टï्र में खलबली मचा दी थी। बाद में यशस्वी यादव सहित कई अफसर निलंबित किये गये थे। मगर महाराष्टï्र में भी यशस्वी यादव ने राष्टï्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं से अपने संबंध बेहद मधुर कर रखे थे जिसके कारण वह इस मामले में बच गये थे।
चिकित्सकों से मारपीट का मामला भी उच्च न्यायालय तक पहुंचा और उच्च न्यायालय ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए यशस्वी यादव समेत कानपुर के कई पुलिसकर्मियों को तत्काल कानपुर से हटाने के आदेश जारी कर दिये। इस पूरे मामले में सरकार की खासी किरकिरी हुई।
यशस्वी यादव का यह पहला मामला नहीं है। कानपुर में कई ऐसे मामले सामने आये जब यशस्वी यादव ने अपने पद की मर्यादा को लांघते हुए इस तरह का आचरण किया। फिलहाल यशस्वी यादव को पुलिस महानिदेशक कार्यालय से संबंद्ध कर दिया है और मामले की जांच अवकाश प्राप्त न्यायाधीश कर रहे हैं। मगर यशस्वी यादव की कारगुजारियां पूरे महकमे में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
साभार- संजय शर्मा weakendtimes