फर्रुखाबाद: शिक्षको को कंप्यूटर प्रशिक्षण देने के नाम पर 28 लाख के बजट का कबाड़ा तो हो ही रहा है| डायट प्राचार्य की निगरानी में चल रहे प्रशिक्षण में जनता का पैसा लूटने के पूरे प्रयास किये जा रहे है| जिन शिक्षको को प्रशिक्षण दिया जा रहा है उनमे से अधिकांश बोर्ड परीक्षा में लिप्त है और बहुत से नेता टाइप शिक्षक चुनाव प्रचार में लगे है| प्रशिक्षण केन्द्रो पर अखिलेश यादव के द्वारा छात्रो को बाटे गए लैपटॉप रखकर फ़ोटो खीच और कागजी घोड़े दौड़ा कर प्रशिक्षण की इतिश्री की जा रही है| इस प्रकार के प्रशिक्षण में धन की बर्बादी के लिए सबसे अधिक डायट प्राचार्य जिम्मेदार है जो शायद कमीशन के लालच के चलते अपने ईमानदारी के कर्त्तव्यबोध से भटक गए है| शमसाबाद बी आर सी केंद्र पर प्रशिक्षण के समय मौजूद अध्यापको की संख्या और अखिलेश के लैपटॉप का दीदार आप भी करिये| जिस संस्था को प्रशिक्षण देने का काम दिया गया उसके पास कंप्यूटर तक नहीं है गोलमाल का अंदाजा इसी से लगा लीजिये| कितने ईमानदार है जिले में अफसर इसका अंदाजा जनता ही लगाये तो ज्यादा अच्छा|
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शैक्षिक वर्षान्त में आये धन को खर्च करने की जल्दी पड़ी थी| बहाना होगा कि शासन से धन ही आखिरी में भेजा तो हम क्या करे| धन लौटाया भी जा सकता था मगर खर्च होने में पैदा होने वाला कमीशन मारा जाता| लिहाजा बजट खर्च कर देना ही सबसे उत्तम दीखता है| शिक्षको को कंप्यूटर प्रशिक्षण कुछ बीआरसी केन्द्रो पर दिया जा रहा है और नगर का एक कंप्यूटर संस्था को दिया गया है| ठंडी सड़क स्थित उस कंप्यूटर सेण्टर पर पर न मानक के अनुसार संसाधन है और न ही प्रशिक्षक| बी आर सी केन्द्रो पर भी प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षक एक बार आकर रजिस्टर पर दस्खत कर देते है पूरे प्रशिक्षण के और एक दिन का मानदेय लेकर हिसाब बराबर| प्रशिक्षण देने वालो को भी इससे बचत ही बचर हो रही| न नाश्ता देने का झंझट और न ही खाना का| मानदेय भी एक दिन का देना पड़ेगा| बाकी का तो सब बचेगा ही| राम भी खुश औ रावण भी| न तुम लड़े न हम भिड़े युद्ध जीत लिया और बजट खर्च कर किला फ़तेह कर लिया| शमसाबाद बी आर सी पर प्रशिक्षण दे रहे अरुण और पुष्पेन्द्र यह तक नहीं बता सके कि प्रशिक्षण देने वाली फर्म का नाम क्या है| उन्होंने बताया कि लैपटॉप तो दोस्तों से मांग कर इक्कट्ठे कर लिए है|
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