उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस, समाजवादी पार्टी से लेकर बहुजन समाज पार्टी आदि सभी दलों में शिक्षकों ने महत्वपूर्ण राजनीतिक पद व कद हासिल किये। प्रदेश के पांच मुख्यमंत्रियों में डा. सम्पूर्णानंद एक बार, मायावती चार बार, मुलायम सिंह यादव तीन बार, कल्याण सिंह दो बार व राजनाथ सिंह एक बार प्रदेश की कमान संभाल चुके हैं। बाबजूद इसके उत्तर प्रदेश में प्रथमिकशिक्षा की दुर्दशा है| तो फिर सवाल बनता ही है कि ऐसा क्यों?
[bannergarden id=”8″]
सबसे पहले बात करते हैं हिंदी और संस्कृत के विद्वान रहे डा. सम्पूर्णानंद की, जिनके नाम पर बनारस में तो सम्पूर्णानंद संस्कृत विवि भी है। वह सबसे लंबी अवधि तक (28 दिसम्बर 1954 से 7 दिसम्बर 1960) यूपी के मुख्यमंत्री रहे। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव मैनपुरी के करहल में इण्टर कालेज में अध्यापन कर चुके हैं। यादव ने 5 दिसम्बर 1989 से 24 जून 1991, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1995 व तीसरी बार 25 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश को संभाला। इसी कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भी कॅरियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की। इसके बाद जब राजनीति में उतरे तो 24 जून 1991 से 6 दिसम्बर 1992 तथा 21 सितम्बर 1997 से 12 नवम्बर 1999 तक मुख्यमंत्री रहे। पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह भी मिर्जापुर में फिजिक्स के शिक्षक के रूप में अध्यापन से जुड़े थे। उन्होंने भी एक बार 28 अक्टूबर 2000 से 8 मार्च 2002 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली और अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो मायावती ने कॅरियर की शुरुआत दिल्ली के एक स्कूल में अध्यापिका के रूप में किया। वह उप्र की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और अपने बूते पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का करिश्मा भी कर चुकी हैं।