कानपुर: जूनियर डॉक्टरों से मारपीट से शुरू हुआ बवाल उत्तर प्रदेश के कई शहरों में फैल गया है| 24 जूनियर डॉक्टरों की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदेश भर में 9 मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. इतना ही नहीं, अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों के करीब 300 शिक्षकों ने विरोधस्वरूप प्रदेश सरकार को अपना इस्तीफा भेज दिया है|
आज जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का चौथा दिन है. प्रदेश के अस्पतालों में मेडिकल सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं. कानपुर में मेडिकल सुविधाएं न मिलने से 13 लोगों की मौत होने की खबर है. आईएमए ने 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए देश भर में हड़ताल की धमकी दी है. इसी के साथ प्रदेश की सपा सरकार पर जूनियर डॉक्टरों से मारपीट के आरोपी सपा विधायक इरफान सोलंकी और एसएसपी यशस्वी यादव पर कार्रवाई का दबाव भी बढ़ गया है|
अखिलेश के खास हैं SSP यशस्वी यादव?
सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मामले की जांच कराने का भरोसा देते हुए जूनियर डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की. डॉक्टरों का आरोप है कि उन्हें सपा विधायक इरफान सोलंकी ने पहले खुद पीटा, फिर पुलिस वालों से पिटवाया और संगीन धाराएं लगाकर जेल भेज दिया गया. जबकि गिरफ्तार किए गए जूनियर डॉक्टर्स पर सपा विधायक पर हमला करने का आरोप है|
रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि एसएसपी यशस्वी यादव सीएम अखिलेश यादव के करीबी हैं. उनके मुताबिक, वह महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, लेकिन अखिलेश के साथ पढ़े होने की वजह से उन्हें उत्तर प्रदेश लाया गया. वहीं विधायक इरफान सोलंकी के पिता भी विधायक थे. कानपुर नगर में यही एक सीट समाजवादी पार्टी 1996 से लगातार जीतती रही है.
हड़ताल करने वालों पर लग सकता है ‘एस्मा’
हालांकि गिरफ्तार जूनियर डॉक्टरों को बाद में जमानत भी मिल गई, लेकिन इसे नाटक बताते हुए उन्होंने जेल से बाहर आने से इनकार कर दिया. उनके प्रतिनिधियों ने बताया कि अभी उन पर लगाए गए आपराधिक मामले नहीं हटाए गए हैं और न ही पिटाई करने वाले पुलिस के एसएसपी और सपा विधायक पर कार्रवाई की गई है, इसलिए प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में हड़ताल जारी रहेगी|
आईएमए की ओर से डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल आज मामले को लेकर राष्ट्रपति से मिल सकता है. डॉक्टरों का एक और समूह स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के जरिये प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की कोशिश में है|
कानपुर की जिलाधिकरी रोशन जैकब ने बताया कि उन्होंने पीएमएस के सरकारी डॉक्टरों को काम पर लगाकर स्थिति संभालने की कोशिश की है. जूनियर डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील करते हुए उन्होंने चेताया कि अगर वे हड़ताल पर वापस नही आते है तो उन पर ‘एस्मा’ भी लगाया जा सकता है.
जमानत के बाद भी घर नहीं लौटे डॉक्टर
वहीं दूसरी ओर प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईएमए की अध्यक्ष डॉ. आरती लाल चंदानी ने कहा कि जिला प्रशासन यह दावा कर रहा है कि सभी जूनियर डॉक्टरों की जमानत हो गई लेकिन रात के आठ बजे तक कोई भी गिरफ्तार छात्र मेडिकल कॉलेज वापस नहीं पहुंचा|
डॉ. चंदानी ने कहा कि हमारी मांग में जमानत शामिल ही नहीं थी. हम सब डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर और छात्र यह चाहते है कि जिन छात्रों को गिरफ्तार करने के बाद आज छोड़ने की बात कही जा रही है उन पर जो संगीन आपराधिक मामले लगाए गए हैं, पहले वे हटाए जाएं तब जिला प्रशासन के अधिकारी हड़ताल खत्म करने के बारे में कोई बात करें. हड़ताल में शामिल दो जूनियर डॉक्टरों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इसके अलावा हमारी अन्य मांगो में मेडिकल छात्रों और जूनियर डाक्टरों को पीटने वाले कानपुर पुलिस के एसएसपी को तुरंत हटाया जाए और छात्रों को पीटने और पुलिस से छात्रों को पिटवाने वाले समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी पर मुकदमा दर्ज किया जाए|