आदर्श शिक्षक चयन में नहीं हुई लिखित परीक्षा, पहले से तय थे विजेता!

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फर्रुखाबाद: जनपद स्तरीय आदर्श शिक्षकों के चयन के लिए शुक्रवार को आयोजित परीक्षा में लिखित परीक्षा नहीं करायी गयी| न ही इसके लिए कोई प्रश्न पत्र तैयार कराया गया| जबकि शासनादेश के अनुसार जिलाधिकारी द्वारा स्वीकृत कमेटी द्वारा तैयार प्रशन पत्र पर परीक्षा ली जानी थी| कई शिक्षको ने आरोप लगाया कि चयन परीक्षा केवल ब्लैकबोर्ड पर पढ़ाकर करा ली गयी| जिसमे हाई स्कूल की जिला टापर के सिवाय कोई अन्य सदस्य परिषद् के स्कूल से बाहर का नहीं था| कभी स्कूल में जाकर बच्चो को न पढ़ाने वाली शिक्षिका भारती मिश्रा का परीक्षा में प्रथम आना पूरे चयन प्रणाली पर सवालिया निशान है| हालाँकि गूंगे बहरे विभाग में कुछ विरोध की आवाजे नक्कारखाने में तूती से कम नहीं है| ऐसे आदर्श शिक्षक बनाये गए है जो नेतागिरी करते है या फिर भवन बनाने के शौक़ीन रहे है| ये तो होना ही था| जिस बीएसए अपनी तैनाती वाले जिले में कुल स्कूलो और उनमे तैनात शिक्षको की संख्या तक न मालूम हो उससे शिक्षा की गुणवत्ता की सुधार की उम्मीद क्या करिये| मंत्रीजी के सामने नरेंद्र कुमार बंगले झाकते नजर आये थे|
Ideal Teachers
जिला विकास अधिकारी प्रह्लाद सिंह तथा बीएसए नरेंद्र शर्मा की मौजूदगी में नरेंद्र सरीन मांटेसरी स्कूल में आयोजित परीक्षा में ब्लाकों व नगर क्षेत्र के 24 आदर्श शिक्षकों को जिला स्तरीय आदर्श शिक्षक चयन परीक्षा में शामिल होना था। लेकिन सात अध्यापक परीक्षा के डर से शामिल नहीं हुए। कुछ शिक्षक तो परीक्षा स्थल का नजारा देखकर चुपचाप वापस चले गए। परीक्षा में शामिल शिक्षकों ने दस से 15 मिनट तक अपने विषय के किसी पाठ को कक्षा में पढ़ाया। यूपी बोर्ड इंटर की टापर छात्रा अजमी नाज, प्रधान संघ के अध्यक्ष संतोष यादव, बीटीसी प्रशिक्षु मयंक दुबे, अमृतपुर स्कूल के एसएमसी अध्यक्ष व सचिव सहित 6 लोगों ने अध्यापकों की शिक्षण योग्यता का मूल्यांकन किया।

जिला समन्वयक एसएन मिश्रा ने बताया कि बढ़पुर के महमदपुर करसान उच्च प्राथमिक की शिक्षिका भारती मिश्रा प्रथम, शमसाबाद के प्राइमरी जैतपुर के शिक्षक शैलेश द्विवेदी द्वितीय व राजेपुर के प्राइमरी ताजपुर की शिक्षिका तृतीय रहीं। मोहम्मदाबाद ब्लाक के आदर्श शिक्षक नंदकिशोर, गोरेलाल व वीना, बढ़पुर के मनोज व नीरज, कायमगंज की रेखा व नगर क्षेत्र की आशा शुक्ला परीक्षा में शामिल नहीं हुई।

बीएसए नरेंद्र शर्मा ने बताया कि कई शिक्षकों ने चित्रों, माडल आदि प्रस्तुत करते हुए पढ़ाया। विद्यालयों में भी यह इसी तन्मयता से पढ़ायें तो पढ़ाई में बहुत सुधार हो सकता है।