हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के विभाजन के निर्णय के विरोध में आज अपने पद और कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।
रेड्डी ने ‘‘सभी नियमों को ताक पर रखकर’’ राज्य का विभाजन करने के विरोध में यह कदम उठाया है। उन्होंने ‘मतों’ की खातिर राज्य का विभाजन करने को लेकर सभी राजनीतिक दलों की आलोचना की।
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वह इस्तीफा देने के निर्णय की घोषणा करने के थोड़ी ही देर बाद सीधे राजभवन गए और राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन को अपना त्यागपत्र सौंपा। उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया।
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रेड्डी ने कहा, मैंने राज्यपाल से अपील की है कि वह जल्द से जल्द वैकल्पिक इंतजाम करें क्योंकि कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में भी काम करने की मेरी कोई इच्छा नहीं है। उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, यह आसान निर्णय नहीं है.. मुझे इस बात का बहुत दुख है कि मैं तेलुगू लोगों की (एकता) की रक्षा नहीं कर सका। उन्होंने केवल ‘मतों और सीटों’ की खातिर राज्य को विभाजित करने के लिए तेदेपा, वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस और भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस की भी आलोचना की।
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रेड्डी ने कहा, मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस का धन्यवाद किया।
उन्होंने कहा, हालांकि मैंने उसी दिन (30 जुलाई 2013) इस्तीफा देने की पेशकश की थी जब सीडब्ल्यूसी ने आंध्र प्रदेश के विभाजन का निर्णय लिया था, मैं सोनिया गांधी के कहने पर पद पर बना रहा। रेड्डी से जब यह पूछा गया कि वह अंतिम क्षण में इस्तीफा क्यों दे रहे हैं, उन्होंने कहा, मैं इसलिए पद पर बना रहा ताकि विभाजन के खिलाफ अंत तक संघर्ष कर सकूं। उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश को विभाजित करके तेलंगाना को 29वां राज्य बनाने संबंधी विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पारित हो गया।