फर्रुखाबाद: माघ मॉस के एक मॉस के कल्पवास और गंगा तट पर निरंतर हर हर गंगे की इस वर्ष के मेले की आखिरी डुबकी के साथ मेला रामनगरिया सकुशल सम्पन्न हो गया| पूर्णिमा की रात में बादलो ने घुमड़ घुमड़ कर कल्पवासियों को कई बार डराया| मगर इस जीवन में हुए पापो का प्रायश्चित करने वालो के विश्वास को मेघराज डिगा न सके| गंगा में डुबकी के साथ पाप धूल जाते है और वैतरणी का रास्ता साफ़ हो जाता है| पुनरजन्म में विश्वास रखने वाले मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की चाहत में गंगा स्नान का महत्त्व और भी बढ़ जाता है| वैसे गंगा की धरा में स्नान करने के दरजनों कारण है|
कल एक मैनपुरी का युवा गंगा की बीच धार में पुल के ऊपर से कूद गया| डूबने लगा तो सुरक्षा में तैनात गोताखोरो ने बाहर निकाल लिया| उससे पूछा गया कि तैरना नहीं जानते थे तो क्यों इतनी उचाई से कूदे- जबाब मिला- बेटा होने की मन्नत मांगी थी| पूरी हो गयी तो गंगा मैया को वादा निभाने के लिए छलांग लगा दी| आस्था का एक अटूट विश्वास जिसमे जान तक की परवाह नहीं|
कोई मन्नत पूरी होने पर गंगा मैया को कपडे दान करता है तो कोई गंगा तट पर भोज देता है| आस्था का नायब नमूना| एक पवित्र नदी में स्नान करने की परम्परा भागीरथी के जमाने से शुरू हुई जब उन्होंने अपने पुरखो की आत्मा को वैतरणी (मृत्यु बाद स्वर्ग पहुचने से पहले पड़ने वाली एक नदी) पार करने के लिए हिमालय से गंगा निकाल गंगा सागर तक पहुचाई| आस्था पर सवाल नहीं होते सिर्फ आस्था होती है| बच्चो के पैदा होने से लेकर मृत्यु तक गंगा की चाहत हर हिन्दू की होती है| जो इस पवित्र नदी के किनारे वास करते है बड़े भाग्यशाली होते है|
तो पूर्णमासी के साथ स्नान और दान के साथ मेले से तम्बू उखड़ने लगे है| लोगो की आस्था का विशाल मेला अंतिम पड़ाव पर पहुच गया|