नाबालिग से यौन शोषण मामले में जोधपुर अदालत से आसाराम को बड़ा झटका मिला है। अदालत ने आसाराम पर पुलिस चार्जशीट के सभी गंभीर आरोप कायम रखे हैं, जिनमें ताउम्र या आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती है। अदालत ने मात्र एक धारा जस्टिस जुवेनाइल सेक्शन 26 को हटाया है।
नाबालिग के शोषण के तहत लगने वाली इस धारा में अधिकतम तीन साल तक की सजा थी। इस मामले में आसाराम सहित सभी आरोपियों को औपचारिक रूप से आरोप 13 फरवरी को सुनाए जाएंगे।
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सेशन न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास की अदालत ने आसाराम सहित पांचों आरोपियों के खिलाफ चार्ज आदेश शुक्रवार को सुना दिए। आदेश में सभी आरोप यथावत रखे। इस दौरान अदालत में आसाराम समेत सभी आरोपी शिवा, शिल्पी, शरदचन्द्र्र और प्रकाश मौजूद थे।
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इन धाराओं में माना आरोपी
376/2(एफ)- संरक्षक (धर्मगुरू) होते हुए विश्वास तोड़कर दुष्कृत्य करने का दोषी। कम से कम दस साल की सजा या उम्रकैद भी मृत्यु तक बढ़ाई जा सकती है।
376 (डी)- एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा एक राय होकर यौन शोषण करना। बीस साल तक की सजा, जिसमें मृत्यु होने तक उम्रकैद की सजा भी सुनाई जा सकती है।
370 (4)- अपराध के लिए नाबालिग की तस्करी। कम से कम दस साल की सजा या उम्रकैद भी मृत्यु तक बढ़ाई जा सकती है।
354 अ – यौन शोषण। कम से कम तीन साल की सजा।
342 – गलत इरादा। एक साल की सजा।
506 – धमकाना। दो साल की सजा।
509/34 – एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना। तीन साल की सजा।
पोक्सो एक्ट
5(डी)/6 – धार्मिक संस्थान द्वारा यौन दुराचार के लिए प्रेरित करना। कम से कम दस साल की सजा या उम्रकैद भी मृत्यु तक बढ़ाई जा सकती है।
5(जी)/6 – नाबालिग से यौन दुराचार।
7/8 – निजी अंगों को यौन दुराचार की भावना से छूना। तीन साल की सजा, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (जेजे एक्ट)
23 – नाबालिग को प्रताड़ित करना, जिससे मानसिक व शारीरिक पीड़ा हो। छह महीने तक की सजा।