नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने राजधानी को भ्रष्टाचार मुक्त करने के अपने चुनावी वायदे पर आगे बढ़ते हुए दिल्ली जनलोकपाल विधेयक को कैबिनेट से पारित कर दिया। अब सरकार 13 से 16 फरवरी के बीच विधानसभा सत्र बुलाकर उसे वहां से भी पारित कर देगी। अब दिल्ली में गंभीर किस्म के रिश्वत के आरोप साबित होने पर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। खास बात ये है कि दूसरे विधेयकों की तरह सरकार इस विधेयक को केंद्र सरकार के पास पारित करने के लिए नहीं भेजेगी।
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दरअसल दिल्ली की सत्ता में काबिज होने के लिए राजधानी के लोगों से किये गए महत्वपूर्ण वादों में से एक जन लोकपाल बिल पर दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने सोमवार को अपनी मोहर लगा दी। दिल्ली कैबिनेट ने काफी विचार विमर्श के बाद दिल्ली जनलोकपाल विधेयक को न सिर्फ फाइनल प्रारूप दिया बल्कि उसे लागू कर दिल्ली को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के अपने वायदे पर एक कदम आगे बढ़ गई।
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कैबिनेट मीटिंग में दिल्ली जन लोकपाल विधेयक को पारित करने के बाद सरकार के मंत्री मनीष सिसोदिया ने विधेयक के प्रस्ताव के बारे में बताया। सिसोदिया के मुताबिक दिल्ली में चपरासी से लेकर मुख्यमंत्री तक दिल्ली जनलोकपाल विधेयक के अंतर्गत आएगा। भ्रष्टाचार की शिकायत चाहे जहां से आए उसकी सामान्य तरीके से जांच की जाएगी। जो कायदे कानून आम कर्मचारी के लिए होगा वही कायदा कानून मुख्यमंत्री के लिए भी होगा।
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सरकार के मुताबिक दिल्ली जन लोकपाल पैनल में कुल दस सदस्य होंगे। इसमें से एक सत्ता पक्ष की ओर से मुख्यमंत्री होंगे जबकि विपक्ष का नेता भी पैनल का सदस्य होगा। बाकि सदस्य कानून से जुड़े व्यक्ति और अलग-अलग क्षेत्रों से होंगे। लोकपाल पैनल का कार्यकाल सात साल का होगा। दिल्ली जन लोकपाल बिल के तहत पहली बार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले और उसकी शिकायत करने वाले यानी व्हिसिल ब्लोअर को कानूनी सुरक्षा दी जाएगी। यही नहीं, ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों को ईनाम देने और उन्हें सुरक्षा देने के लिए पॉलिसी बनाई जाएगी। दिल्ली जनलोकपाल विधेयक के तहत अगर किसी व्यापारी को सरकार का चूना लगाकर मुनाफा कमाते पकड़ा गया तो उससे सरकार को होने वाले कुल नुकसान का पांच गुणा वसूला जाएगा।
अब दिल्ली सरकार 13 से 16 फरवरी तक विधानसभा का सत्र बुलाएगी। विधानसभा में दो दिन चर्चा करने के बाद 16 फरवरी को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में विशेष सत्र का आयोजन कर उसे वहां से पारित कर दिया जाएगा। खास बात ये है कि विधानसभा से पारित होने के बाद दिल्ली सरकार इसे केंद्र के पास भेजने के बजाए तत्काल लागू कर देगी।