फर्रुखाबाद: फर्रुखाबाद में बसंत का त्योहार कुछ विशेष मायनों में अलग तरीके से मनाया जाता है। जहां एक ओर मां सरस्वती के जन्मदिन पर सरस्वती मंदिरों में पूजन होता है, वहीं इस त्योहार पर लाखों रुपए की पतंगबाजी करके लोग बसंत को बसंतोत्सव बनाने का काम करते हैं। देश भर में अलग-अलग त्योहारों पर अलग-अलग जगह पतंगबाजी होती है, लेकिन फर्रुखाबाद की बसंत पंचमी पर पतंगोत्सव जैसा माहौल देखने को मिलता है। बसंत की पूर्व संध्या पर आज शहर में पतंगबाजी की धूम रही। छतों पर शोर मचाते बच्चे बूढ़े और जवान सभी बसंत का स्वागत करने को उत्सुक दिखे। पतंग साजों की दुकानों पर सुबह से लेकर देर रात तक भीडें़ लगी रहीं। लोगों ने महंगाई होने पर भी पतंगों, रील व अन्य सामग्री की जमकर खरीदारी की। फौरी तौर पर किये गये सर्वेक्षण में पचास लाख से ऊपर तक का व्यापार होने का अंदाजा लगा है।
[bannergarden id=”8″]
सुबह पौ फटते ही सारे शहर में धूम जैसी दिखायी दी। भारी सर्दी के बावजूद भी लोगों ने छतों पर चढक़र पतंगबाजी शुरु कर दी। सूर्योदय होते-होते पतंगबाजी अपने पूरे सबाब पर पहुंच गयी। इसके बाद मौसम ने ऐसी करवट बदली कि बसंत पर वास्तव में मौसम बसंती हो गया और दिन भर खिली हुई धूप में जमकर पतंगबाजी हुई। पतंगसाजों की दुकानों पर डोर भरने के चरखों की घरघराहट थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। बहुत मुश्किल से घर वाले बच्चों को नित्य कर्म करने के लिए राजी कर सके। पतंगबाजी की धुन में बच्चे कुछ सुनने को ही तैयार नहीं थे। छतों पर बजती हुई डेगें, भुनते हुए आलू और दीवाला है की आवाजें गुंजायमान होती रहीं। इस तरीके से बसंत पंचमी की पूर्व संध्या पर ही पतंगबाजी का पूरा माहौल तैयार हो गया है। बसंत की पूर्व संध्या को छोटे बसंत की संज्ञा भी दी जाती है।
आज बसंत पंचमी पर लाखों रुपए की पतंगबाजी हो जायेगी। पतंगें उड़ेंगी और कटेंगी। कहीं-कहीं पर तो हजारों रुपए की बोली लगाकर पेंच लड़ाये जाते हैं। नवाबी शौक के नाम से विख्यात पतंगबाजी का उत्सव ऐतिहासिक शहर फर्रुखाबाद में अपना अलग ही महत्व रखता है, क्योंकि फर्रुखाबाद की स्थापना नवाब मोहम्मद खां बंगस ने की थी और इसकी स्थापना से ही पतंगबाजी यहां होती रही है।
[bannergarden id=”11″]
[bannergarden id=”17″]