बसों में फ‌र्स्ट एड बाक्स यानी धोखा

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roadways busफर्रुखाबाद: रोडवेज की बसों में फ‌र्स्ट एड बाक्स तो लगा रहता है लेकिन इसे कूड़ेदान की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि विभाग के पास इस बाक्स के लिए अलग से बजट का कोई प्राविधान नहीं है।

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ये तो डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक का रहम-ओ-करम है कि वह चाहे तो किसी बस के बाक्स में मरहम पंट्टी रखवा दें। स्थिति यह है कि केंद्रीय कार्यशाला से जब बसें निर्मित होकर निकलती हैं तो भी उसके बाक्स में मरहम पंट्टी तक नहीं होती। शहीद मेजर सलमान खान अंतर्राज्यीय बस अड्डे पर प्रतिदिन करीब 1200 बसें, चुन्नीगंज डिपो से लगभग 100 बसें और रावतपुर बस अड्डा से करीब 50 बसों का आवागमन है लेकिन शायद ही कोई बस ऐसी हो जिसमें प्राथमिक चिकित्सा सुविधा हो। यही हाल सिटी बसों का है उसमें भी बाक्स तो होता है लेकिन दवाएं नहीं। अक्सर बस दुर्घटना होने पर इलाज के अभाव में यात्रियों की मौत हो जाती है क्योंकि उन्हें प्राथमिक चिकित्सा नहीं मिल पाती।

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बसों में फ‌र्स्ट एड बाक्स में दवाओं के लिए कोई प्राविधान नहीं है लेकिन पूरी किट करीब 150 रुपये की आती है। जिन बसों में दवाएं नहीं होंगी, उनमें व्यवस्था कराई जाएगी- प्रबंधक, परिवहन परिक्षेत्र।