फर्रुखाबाद: पहले नौकरी के लिए संघर्ष,और जब नौकरी मिल गयी तो वेतन के लिए संघर्ष| उत्तर प्रदेश की सरकारो का ये हाल प्राथमिक शिक्षा की बात लगाने में आग में घी का काम कर रहा है| ६ माह पहले नियुक्त हुए उच्च प्राथमिक अनुदेशको को अब तक वेतन मुहैया नहीं हो सका है| हालाँकि सरकार ने भी ये वेतन नियुक्ति के चार माह बाद भेजा था मगर जिला स्तर पर पैसा मौजूद होने के बाद अब तक ये अध्यापको तक नहीं पहुच सका| दो दर्जन अनुदेशको ने जिलाधिकारी से भेट कर वेतन दिलाने का ज्ञापन सौपा है|
उच्च प्राथमिक स्कूलों में विषय शिक्षक के तौर पर समीदा पर तैनात किये गए अनुदेशक अब यूनियन बनाने पर मजबूर हो गए है| रसोइयो से लेकर शिक्षको की वैसे भी नेतागिरी कम थी अब अपनी मांगे मनवाने के लिए एक संगठन का गठन हो गया| नाम रखा गया आदर्श अनुदेशक वेलफेयर असोसिएशन| संजीव कुमार इसके जिला अध्यक्ष बन गए| यूनियन का पंजीकरण करा लिया गया| जिले में लगभग 320 अनुदेशक है| अब इस संगठन में ब्लाक स्तर पर गठन होगा| छोटे बड़े पद मिलकर लगभग 50 अनुदेशक शिक्षा कार्य से नेतागिरी के लिए मुक्त हो ही जायेंगे| अधिकारो की बात होगी| सरकारी नियमो का हवाला दिया जायेगा| पहले से कामचोरी में नाम कम चुके बेसिक शिक्षको के नक़्शे कदम पर चलते हुए ये भी उसी तर्ज पर आ जायेंगे| मगर अभी तो माग जायज है| स्कूल में नौकरी दी है तो वेतन तो दीजिये| सरकार नेतागिरी और कामचोरी के लिए रस्ते खुद ही खोलती है ऐसा शिक्षक नेताओ का कहना है|
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ज्ञापन देने वालो में संजीव कुमार यादव, शैलेन्द्र कनोजिए, रवि बाबू, आरती, अनुराधा गुप्ता, शशि, इंदिरा, अनुपम, शिवानी, कनक, वंदना, निधि, ममता, देवेन्द्र कुमार, प्रवीण, अजीत आदि अनुदेशक शामिल थे|
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