नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए दया याचिकाओं पर निर्णय में देरी के आधार पर तेरह मामलों में 15 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। इस फैसले से फतेहगढ़ केंद्रीय कारगर में बंद जफ़र अली की फांसी की सजा भी उम्र कैद में तब्दील हो गयी है|
इटावाः के जफ़र अली को अपनी पत्नी और चार बेटो की हत्या में फांसी की सजा हुई थी| लगभग 10 साल से फतेहगढ़ केंद्रीय कारगर में जफ़र अपनी फांसी की सजा का इन्तजार कर रहा था| जफ़र ने राष्ट्रपति से दया की अपील की अर्जी भी लगा रखी थी| जफ़र की पैरवी में उनके वकील युग मोहित चौधरी और रामजेठ मलानी ने भी बहस की थी|
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि फांसी की सजा पाए अपराधियों की दया याचिका पर अनिश्चितकाल की देरी नहीं की जा सकती और देरी किए जाने की स्थिति में उनकी सजा को कम किया जा सकता है। इसलिए 15 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील किया जाता है। इन दोषियों में चार वीरप्पन के सहयोगी हैं, जिन्हें 22 पुलिसवालों की लैंड माइन ब्लास्ट कर हत्या करने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी।
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कोर्ट ने यह भी कहा कि फांसी की सजा का सामना करने वाला कैदी यदि मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो उसे फांसी नहीं दी जा सकती और उसकी सजा कम करके उम्रकैद में बदली जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार फांसी की सजा का सामना करने वाले अपराधी और अन्य कैदियों को एकांत कारावास में रखना असंवैधानिक है।
इस फैसले का प्रभाव पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आरोप में फांसी की सजा पाए मुरुगन, अरुवि और संथन की दया याचिकाओं पर भी पड़ सकता है, जो लंबे समय से लंबित हैं।
उम्रकैद पाने वाले दोषियों के नाम :
संजीव व सोनिया,
हरियाणा
वीरप्पन से मामले से जुड़े चार दोषी
सुंदर, उत्तराखंड
सुरेश एवं रामजी
गुरमीत सिंह
प्रवीण कुमार
जफर अली
मंगालाल
शिबू और जेद्देस्वामी
केजरीवाल के धरने के खिलाफ पीआइएल
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा रेल भवन के पास चार पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने की मांग को लेकर दिए जा रहे धरने को असंवैधानिक बताते हुए जनहित याचिका दायर की गई। कोर्ट इस पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।