फर्रुखाबाद: भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री एवं फायर ब्रांड हिंदूवादी नेता प्रांशुदत्त द्विवेदी व उनके 600 अज्ञात साथियों पर प्रभात फेरी में हुए बवाल को लेकर लगभग चार वर्ष पूर्व लगाये गए बलवे के मुकदमे में सुनवाई के बाद अपर जिला न्यायाधीश पीएन श्रीवास्तव ने मुकदमा वापस लेने का आदेश दिया।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपने आदेश में लिखा है कि 600 लोगों के समूह में किसी एक व्यक्ति विशेष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इसी बिंदु पर उस समय की सर्वाधिक राजनितिक घटना का मुकदमा विक्रांत अवस्थी की जनहित याचिका वापस लिया गया है। अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता शिशुपाल सिंह यादव ने सरकार का पक्ष रखा। बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुधांशु दत्त द्विवेदी ने कोर्ट के समक्ष अपने तर्क प्रस्तुत किए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला जज ने जनहित में मुकद्दमा वापस किए जाने की अनुमति प्रदान कर दी।
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राजनैतिक दबाव के चलते घटना के बाद प्रांशु को सात महीने रासुका के तहत कारागार में निरुद्ध रहना पड़ा था। मुकदमा वापसी की अनुमति मिलने पर भाजपाइयों में खुशी की लहर दौड़ गयी। भाजपा के क्षेत्रीय महामंत्री सत्यपाल सिंह ने इसे धर्मं और सत्य की जीत बताया। इसके आलावा सैंकड़ों शुभचिंतकों व कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को गले मिलकर बधाइयाँ दी।
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बताते चले कि खटकपुरा स्थित मस्जिद के सामने से महाकाल मंदिर की प्रभात फेरी निकालने से समुदाय विशेष के लोगों ने निकालने से माना किया था और कुछ भक्तों के साथ धक्का मुक्की भी हुई थी। इस बात से गुस्साए भाजपा व हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने रेलवे रोड़ स्तिथ पंडा बाग मंदिर से एक विशाल रैली निकाली थी। जिसका नेतृत्व प्रांशु दत्त द्विवेदी कर रहे थे। रेखांकित करने योग्य है की उस समय पर लोकसभा के चुनाव निकट थे और बसपा से पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल भी यहाँ से चुनाव लड़ रहे थे। यात्रा जब पंडाबाग से चली तो पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास किया लेकिन कार्यकर्ताओं के जोश के आगे पुलिस की एक नहीं चली और जय श्रीराम के नारे लगाते हुए कार्यकर्ता रेलवे रोड़ पर ही स्तिथ महादेवी वर्मा की प्रतिमा के पास तक पहुँच गए। तत्कालीन बसपा सरकार के दबाव में प्रशासन ने दमनात्मक रवैया अपनाया स्त्री, पुरुष, बच्चों, बुजुर्गों व राहगीरों पर पुलिस ने जमकर लाठीयां बरसाई थी। इस बात से आक्रोशित प्रांशु सीओ से भिड गए और दोनों के बीच मारपीट हो गयी। सीओ की पिटाई से गुस्साई पुलिस ने उग्र रूप धारण कर लिया और बर्बरता पूर्ण लाठीचार्ज कर दिया। जिससे तमतमाए प्रांशु ने सीओ से मोर्चा ले लिया था। परिणाम स्वरुप पल्ला चौकी फूंक दी गयी। चौक पर वाहन जलाये गए। जिसके फलस्वरूप उपद्रव ने बलवे का रूप ले लिया। प्रांशु गिरफ्तारी से भाजपाई उग्र हो गए और मेजर सुनील दत्त की अगुवाई में कोतवाली फर्रुखाबाद में बवाल कर दिया। इस बात को लेकर प्रांशु, मनोज राजपूत, प्रबल सहित 65 लोगों पर नामजद व 600 अज्ञात लोगों के विरुद्ध बलवे का मुकदमा पंजीकृत किया गया।
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आज सुनवाई के बाद अपर जनपद व सत्र न्यायाधीश पीएन श्रीवास्तव ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद सैंकड़ों लोगों में किसी व्यक्ति विशेष की भूमिका नहीं आंकी जा सकती है। ऐसे में मुकदमा वापस किया जाता है। मुकदमा वापस होने पर भाजपा ने जश्न मनाया। वहीं प्रांशु ने कहा कि यह जीत मेरी नहीं बल्कि सभी शुभचिंतकों व समर्थकों की है। जिन्होंने मुसीबत के समय मेरी हौसला अफजाई की। भाजपा नेता संजय गर्ग, रुपेश गुप्ता, हिमांशु गुप्ता, जिलाध्यक्ष दिनेश कटियार, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मुकेश राजपूत, पूर्व चेयरमैन श्रीमती मिथलेश अग्रवाल, वरिष्ठ भाजपा नेत्री डॉ० रजनी सरीन ने प्रांशु को शुभ कामनाएं व बधाई दी है। वहीं प्रांशु ने कहा कि इतने लंबे संघर्ष में जो साथ हमारे साथ रहे, मुकदमा लड़ा, तारीखें की उन सभी को साधुवाद दिया।