मंत्रीजी ने देखी- नाकारा अफसरो के हाथ में फर्रुखाबाद की कमान!

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फर्रुखाबाद: समीक्षा करने पहुचे उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जनपद में कुल कितने स्कूल है ये गिनती नहीं बता सके| मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्टाफ न होने का रोना तो रोये मगर शासन को स्थिति अवगत करायी या नहीं इस पर जबाब नहीं दे सके| पी डब्लू डी, पुलिस, नगरपालिका, डीआरडीए और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी तो मीटिंग में पहुचे ही नहीं जबाब तो क्या देते| कुल मिलाकर मंत्रियो और जिलाधिकारी का समय खराब करने के सिवाय समीक्षा मीटिंग ने नतीजा तो कुछ न निकला| ये हाल तब है जब हर दूसरे दिन विकास कार्यो और जनसमस्याओ की समीक्षा करने के लिए जिले में मंत्री से लेकर कमिश्नर तक पहुच रहे है|
DM MEETING FARRUKHABAD
ये हकीकत है कि जनता को मूलभूत सुविधाएँ देने वाले स्वास्थ्य, शिक्षा और खाद्य आपूर्ति तीनो विभागो की जनता के प्रति कोई न कोई सोच है और न ही कोई चिंता| लगता है कि तीनो ही विभागो में बजट खर्च कैसे हो जाए, अधिक से अधिक माल कैसे बना लिया जाए इस काम में ही रात दिन अधिकारी व्यस्त रहते है|
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जिला मुख्यालय पर पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रामासरे विश्वकर्मा का दौरा और राजनैतिक कार्यक्रम था| जैसा की जिले में अन्य मंत्री बैठक की खानापूर्ति कर राजनैतिक काम निपटाने की प्राथमिकता से आते है ऐसा ही अनुमान अधिकारी भी लगाकर मस्त रहते है| मगर रामआसरे विश्वकर्मा पहले भी मुलायम सिंह की सरकार में शिक्षा मंत्री रह चुके है लिहाजा कुछ सवाल जबाब कर बैठे| मीटिंग से गायब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नरेंद्र कुमार के मोबाइल स्विच ऑफ होने के बाद भी उन्हें तलाश लिया गया और बैठक में जबाब देना पड़ गया| मंत्रीजी ने पूछा कि जिले में कितने प्राइवेट स्कूल, कितने पैशादिया प्राइमरी और अपर प्राइमरी है तो बी एस ए की जवान लड़खड़ाई तो डांट खा गए| फिर पुछा गया कि सहायता प्राप्त कितने स्कूल है तो जबाब मिला कि अगस्त में पोस्टिंग पर आये है| मंत्रीजी ने झाड़ा कि 7 महीने में जनपद में कितने स्कूल है ये पता नहीं कर पाये| दरअसल में मंत्रीजी को नहीं मालूम कि जिला बेसिक शिक्षा कार्यालय पर इस बात का कोई सही रिकॉर्ड नहीं है कि जनपद में कुल कितने स्कूलों को मान्यता दी गयी है| ऐसा कोई रजिस्टर ही नहीं है| जो भी डेटा दिया जायेगा वो अनुमान से होगा| रात दिन किस मद में कितना पैसा आया और कैसे खर्च होगा इससे फुर्सत मिले तो बाकी के काम कर सके बेचारे जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नरेंद्र कुमार|

जिला अल्पसंख्यक अधिकारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी शादी और बीमारी के अनुदान लेक लिए आये आवेदनो की संख्या तक न बता सके| समाज कल्याण अधिकारी ऋतू मिश्रा और अल्पसंख्यक अधिकारी दिलीप कटियार इस वर्ष के ऑनलाइन छत्रवृति के कुल कितने आवेदन हो गए तो जबाब मिला कि ऑनलाइन फीडिंग चल रही है| यानि प्रतिदिन की प्रगति की बारे में ये अधिकारी जानकारी नहीं रखते|
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी राकेश कुमार से मंत्रीजी ने पूछा कि जिले में कितना और कौन कौन सा स्टाफ है| राकेश कुमार ने ऊपर से गिनना शुरू किया कि जनपद में 9 सहायक ACMO के पद है जिसमे केवल दो है बाकी के 7 खाली है| मंत्रीजी ने पूछा कि फिर हॉस्पिटल और स्वास्थ्य सेवाए कैसे चला रहे हो| इस पर CMO बोले कि “चल रहा है”| मंत्रीजी ने पूछा शासन को क्यों नहीं लिखा| राकेश कुमार बोले लिखा है| मंत्रीजी ने झाड़ते हुए कहा कि लिखा तो सूचना हमें क्यों नहीं मिली| जब शासन को लिखोगे नहीं तो सरकार व्यवस्था कैसे करेगी| अब मंत्रीजी को कौन बताते कि अगर बजट खर्च में हाथ बढ़ जायेंगे तो माल का बटवारा भी टुकड़े टुकड़े न हो जायेगा…|
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मंत्रीजी बैठक से उठे और राजनैतिक गोष्ठी करने के लिए जाने से पहले डीएम साहब को ताकीद कर गए कि चलते चलते डाक बंगले में उन सभी को तलब करो मय रिकॉर्ड के जो सभागार में नहीं पहुचे| मंत्रीजी को बताया गया कि जनपद में कुल 1868 कांस्टेबल की जरुरत है जिसके सापेक्ष मात्र 921 तैनात है|