एक तरफ केजरीवाल…तो दूसरी तरफ मीरा कुमार

Uncategorized

meera kumarनई दिल्ली। एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी राजनीति की नई परिभाषा गढ़ रही है वहीं दूसरी तरफ पुराने ढर्रे की राजनीति और इससे फायदे उठाने की होड़ मची है। आप के उभार के साथ ही दिल्ली में दो चेहरे और दो किस्म की राजनीति साफ दिखने लगी है। पहला चेहरा है दिल्ली के भावी मुख्यमंत्री और आप पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का, तो दूसरा चेहरा है लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार का।

केजरीवाल मुख्यमंत्री बनने वाले हैं, लेकिन उन्होंने लुटियंस दिल्ली में बंगला लेने से मना कर दिया है जो एक मुख्यमंत्री का अधिकार होता है। वहीं मीरा कुमार को साल 2038 तक 6 कृष्णा मेनन मार्ग पर आलीशान बंगला मिला है। 25 साल के लिए ये बंगला उनके दिवंगत पिता और पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम फाउंडेशन के नाम पर अलॉट किया गया है।

[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]

भारतीय राजनीति में नई इबारत लिखने वाले, आम आदमी की बात करने वाले और आम आदमी की तरह ही रहने का दावा करने वाले केजरीवाल ने लाल बत्ती की गाड़ी और यहां तक की सुरक्षा लेने से भी इनकार कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ मीरा कुमार का बंगला प्रेम ऐसा है कि अगर पद न रहे तो भी आगे 25 साल का इंतजाम है। मतलब ये कि एक जो मुख्यमंत्री बन रहा है वो बंगला लेने से इनकार कर रहा है, तो दूसरा जो अब अपने पद से जाने वाला है उसने बंगले का ताउम्र इंतजाम कर लिया है।

ये बंगला उनके पिता और देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम के नाम पर चल रहे फाउंडेशन को आवंटित किया गया है। इस फाउंडेशन की शुरुआत 14 मार्च 2008 को हुई थी। डायरेक्टरेट और एस्टेट्स की वेबसाइट ई-आवास के मुताबिक ये बंगला 1 जुलाई 2038 तक बाबू जगजीवन राम नेशनल फाउंडेशन को दे दिया गया है। इस बंगले में बाबू जगजीवन राम काफी लंबे समय तक रहे। 1986 में उनके निधन के बाद ये बंगला उनकी पत्नी इंद्राणी देवी को सौंप दिया गया। 2002 में इंद्राणी की मौत के बाद उनकी बेटी मीरा कुमार को यही बंगला 2004 में मिला जब वो यूपीए सरकार में मंत्री बनीं।

2009 में यूपीए के दूसरे कार्यकाल में मीरा कुमार जब लोकसभा स्पीकर बनीं तो वो 20 अकबर रोड पर बने स्पीकर आवास पर शिफ्ट हो गईं। लेकिन सरकारी संपत्ति का रख-रखाव करने वाले केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के मुताबिक उन्होंने कृष्ण मेनन मार्ग वाला बंगला खाली नहीं किया।

डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स ने दावा किया कि 2009 से 2013 के बीच में ये बंगला किसी के पास नहीं था लेकिन आरटीआई के जरिए CPWD रिकॉर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक ये बंगला मीरा कुमार के नाम था और उन पर इसका 1 करोड़ 98 लाख किराया भी बकाया था। हालांकि सरकार ने उनका ये किराया माफ कर दिया। आपको बता दें कि 2000 में कैबिनेट ने फैसला किया था कि सरकारी आवास को स्मारक नहीं बनाया जा सकता है। बावजूद इसके नियम कायदे को ताक पर रखा गया है।